वैसे तो सहर के लिए बहुत से आमाल किताबों में मौजूद हैं लेकिन हम यहां पर मुख़्तसर आमाल बयान कर रहे हैं।
** सहरी खाना, हदीसों में है कि सहरी ज़रूर खाना चाहिए चाहे एक खजूर और एक घूंट पानी ही क्यों न हो, और सहरी की बेहतरीन ख़ुराक सत्तू है जिसमें सूखी खजूर का पाऊडर मिला हुआ हो।
हदीस में है कि अल्लाह और फ़रिश्ते सहरी के समय इस्तेग़फ़ार करने वालों और सहरी खाने वालों पर दुरूद पढ़ते हैं।
** सहरी के समय सूरए इन्ना अनज़लनाह पढ़ना, हदीस में है कि जो शख़्स सहरी और इफ़्तारी और इन दोनों के बीच इस सूरे की तिलावत करे तो उसके लिए उतना सवाब है जितना अल्लाह की राह में ज़ख़्मी होने के बाद शहीद हो जाने वाले इंसान का है।
** दुआए सहर पढ़ना, सहर में पढ़ी जाने वाली कई दुआएं मफ़ातीहुल जेनान और दूसरी किताबों में मौजूद हैं जिनमें से सबसे अहम दुआए अबू हमज़ा सुमाली है जिसको इमाम सज्जाद अ.स. रमज़ान की सहर में पढ़ा करते थे और आपने अपने शागिर्द अबू हमज़ा सुमाली को तालीम दी, जिसमें मआरिफ़ और इरफ़ान के बेहतरीन मतालिब पाए जाते हैं, यह दुआ काफ़ी बड़ी है लेकिन फिर भी पूरे रमज़ान में इस दुआ को चाहे एक ही बार क्यों न हो तर्जुमे के साथ ज़रूर पढ़ना चाहिए।
हम यहां पर सहर की सबसे मुख़्तसर दुआ को आपके लिए पेश कर रहे हैं जिसे मफ़ातीहुल जेनान या रमज़ान के आमाल की किताबों में भी पढ़ा जा सकता है।
یَا مَفْزَعِی عِنْدَ كُرْبَتِی وَ یَا غَوْثِی عِنْدَ شِدَّتِی إِلَیْكَ فَزِعْتُ وَ بِكَ اسْتَغَثْتُ وَ بِكَ لُذْتُ لا أَلُوذُ بِسِوَاكَ وَ لا أَطْلُبُ الْفَرَجَ إِلا مِنْكَ فَأَغِثْنِی وَ فَرِّجْ عَنِّی یَا مَنْ یَقْبَلُ الْیَسِیرَ وَ یَعْفُو عَنِ الْكَثِیرِ اقْبَلْ مِنِّی الْیَسِیرَ وَ اعْفُ عَنِّی الْكَثِیرَ إِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُورُ الرَّحِیمُ اللَّهُمَّ إِنِّی أَسْأَلُكَ إِیمَانا تُبَاشِرُ بِهِ قَلْبِی وَ یَقِینا حَتَّى أَعْلَمَ أَنَّهُ لَنْ یُصِیبَنِی إِلا مَا كَتَبْتَ لِی وَ رَضِّنِی مِنَ الْعَیْشِ بِمَا قَسَمْتَ لِی یَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ یَا عُدَّتِی فِی كُرْبَتِی وَ یَا صَاحِبِی فِی شِدَّتِی وَ یَا وَلِیِّی فِی نِعْمَتِی وَ یَا غَایَتِی فِی رَغْبَتِی أَنْتَ السَّاتِرُ عَوْرَتِی وَ الْآمِنُ رَوْعَتِی وَ الْمُقِیلُ عَثْرَتِی فَاغْفِرْ لِی خَطِیئَتِی یَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِینَ
ऐ मुसीबत में मेरी पनाहगाह, ऐ सख़्त हालात में मेरी फ़रियाद सुनने वाले, तेरे पास डरा हुआ आया हूं और तुझसे फ़रियाद करता हूं, तेरी तरफ़ दौड़ रहा हूं और तेरे अलावा किसी की पनाह नहीं लेता हूं, तेरे अलावा किसी से हालात की बेहतरी का सवाल नहीं करता हूं, ख़ुदाया बस तू मेरी फ़रियाद सुन ले और हालात बेहतर कर दे, ऐ वह जो थोड़ा अमल क़बूल करता है और बहुत से गुनाह माफ़ करता है, मेरे भी थोड़े अमल को क़बूल फ़रमा और बहुत ज़्यादा गुनाहों का माफ़ फ़रमा बेशक तू ही बहुत माफ़ करने वाला मेहेरबान है, ऐ माबूद मैं तुझसे ऐसे ईमान की दुआ करता हूं तो मेरे दिल में हमेशा बाक़ी रहे और ऐसे यक़ीन की दुआ करता हूं जिससे मैं यह समझने लगूं कि मुझे वही मिलेगा जिसे तूने मेरी क़िस्मत में लिखा है और तूने मुझे ज़िंदगी में जो दिया है उस पर राज़ी रख, ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले ऐ मुसीबत के समय के साथी ऐ कठिन समय में साथ देने वाले ऐ नेमत के समय सरपरस्ती करने वाले और ऐ मेरी चाहत के मरकज़, तू मेरी बुराईयों को छिपाने वाला ख़ौफ़ के वक़्त पनाह देने वाला और मेरी ग़लतियों को माफ़ करने वाला है, इसलिए मेरी ग़लतियों को माफ़ कर दे ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले।