AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
गुरुवार

21 मार्च 2024

9:58:59 am
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हज़रत ख़दीजा स.अ. का मर्तबा

अहले सुन्नत के मशहूर मोहद्दिस बुख़ारी ने अपने किताब सहीह बुख़ारी जो अहले सुन्नत की 6 सहीह, मोतबर और भरोसेमंद किताबों में से एक है उसमें हदीस नक़्ल करते हैं कि हज़रत आएशा कहती हैं कि मैंने जब से यह सुना कि ख़दीजा से अल्लाह ने जन्नत का वादा किया है तब से ख़दीजा से ज़्यादा किसी दूसरी औरत से जलन और ईर्ष्या नहीं की। (सहीह बुख़ारी, जिल्द 5, पेज 114)

आपकी शख़्सियत सारी औरतों के लिए एक आइडियल की हैसियत रखती है, यह आप की सीरत ही की वजह से था कि पैग़म्बर स.अ. आपका बहुत सम्मान करते थे और उनकी निगाह में आपका एक ख़ास मर्तबा था वह अपने कामों में आपसे न केवल एक बीवी की तरह बल्कि एक समझदार और क़ाबिल दोस्त की तरह मशविरा करते थे, और आप जो भी मशविरा देती थीं पैग़म्बर स.अ. उसे ध्यान से सुनते थे।

इमाम अली अ.स. से हदीस नक़्ल हुई है कि आपने फ़रमाया कि मैंने यह बात ख़ुद पैग़म्बर स.अ. सुनी है कि बनी इस्राईल की औरतों में हज़रत मरयम बिन्ते इमरान सबसे बेहतर थीं और आज की उम्मत में सबसे बेहतर हज़रत ख़दीजा हैं। (उम्दह इब्ने बितरीक़, पेज 24)

ध्यान रहे हज़रत ख़दीजा के मर्तबे और उनकी शख़्सियत को मामूली आधार पर नहीं परखा जा सकता, क्योंकि उनकी अज़मत, फ़ज़ीलत और मर्तबे का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आपको अल्लाह ने जिब्रईल द्वारा सलाम भेजा और आपसे उस अज़ीम अज्र और ईनाम का वादा किया जिसका ज़िक्र पिछले और मौजूदा किसी पैग़म्बर स.अ. के सहाबी के बारे में भी नहीं हुआ।

अहले सुन्नत के मशहूर मोहद्दिस बुख़ारी ने अपने किताब सहीह बुख़ारी जो अहले सुन्नत की 6 सहीह, मोतबर और भरोसेमंद किताबों में से एक है उसमें हदीस नक़्ल करते हैं कि हज़रत आएशा कहती हैं कि मैंने जब से यह सुना कि ख़दीजा से अल्लाह ने जन्नत का वादा किया है तब से ख़दीजा से ज़्यादा किसी दूसरी औरत से जलन और ईर्ष्या नहीं की। (सहीह बुख़ारी, जिल्द 5, पेज 114)

हज़रत आएशा की यह बात हक़ीक़स से दूर नहीं कही जा सकती क्योंकि हम जानते हैं कि आप की शादी पैग़म्बर स.अ. से उनकी रिसालत के शुरू होने से पहले हुई और आपने पैग़म्बर स.अ. के साथ 25 साल ज़िंदगी गुज़ारी, और आपकी वफ़ात के बाद पैग़म्बर स.अ. ने कई शादियां कीं लेकिन सारी बीवियों के होने के बाद आप हमेशा हज़रत ख़दीजा को याद करते थे, आपका नाम बहुत सम्मान से लेते थे और आप से जुड़ी यादों को बयान करते थे जैसाकि आपके बारे में फ़रमाया कि अल्लाह ने उनसे बेहतर किसी को मेरे लिए नहीं चुना, उन्होंने उन दिनों मेरी मदद की जब मुझे मदद की ज़रूरत थी, वह ऐसे समय में मुझ पर ईमान लाईं जब सारी दुनिया मुझ से दूर भाग रही थी, उन्होंने ऐसे समय में मेरी बातों को सच माना जब सारी दुनिया मुझो झुठला रही थी, अल्लाह ने उनसे मुझे औलाद अता की। (हमसराने रसूले ख़ुदा स.अ., पेज 18, अल-इस्तीआब से नक़्ल करते हुए)

पैग़म्बर स.अ. की मुबारक ज़ुबान से आपके बारे में बयान किए गए साफ़ लफ़्ज़ों में आपके औसाफ़ से पता चलता है कि आपका मर्तबा कितना अज़ीम था और आपकी शख़्सियत कितनी बुलंद थी।

हज़रत आएशा का बयान है कि कोई दिन ऐसा नहीं गुज़रता था जिस दिन पैग़म्बर स.अ. आपका ज़िक्र न करते हों इसी के चलते एक दिन औरतों की आदत मुझ पर हावी हो गई और मैंने ईर्ष्या करते हुए कहा कि क्या वह बूढ़ी नहीं थीं जबकि अल्लाह ने आपको उनसे बेहतर बीवी दी है? पैग़म्बर स.अ. मेरी यह बातें सुन कर इतना ग़ुस्सा हुए कि उनकी पेशानी के बाल ग़ुस्से की वजह से हिल रहे थे, उसी के बाद पैग़म्बर स.अ. ने आपके बारे में यह बातें बयान कीं जिनका ज़िक्र ऊपर किया गया।

आएशा का ही बयान है कि जब कभी घर में भेड़ की क़ुर्बानी होती तो पैग़म्बर स.अ. फ़रमाते कि थोड़ा गोश्त हज़रत ख़दीजा के रिश्तेदारों के लिए भी भेज दो, एक बार मैंने आपत्ति जताई तो पैग़म्बर स.अ. ने फ़रमाया मैं हज़रत ख़दीजा के दोस्तों और रिश्तेदारों का भी बहुत ख़्याल रखता हूं। (मिंबरुल इस्लाम व तौफ़ीक़ुल आलम)

यह जितना भी आपके बारे में बयान हुआ वह उनके फ़ज़ाएल के दरिया से एक बूंद भी नहीं था, वरना बहुत सारी हदीसें हमारे पास मौजूद हैं जो अहले सुन्नत उलमा द्वारा नक़्ल हुई हैं और वह सभी हदीसें आपकी शख़्सियत और आपकी दूसरी सभी औरतों और पैग़म्बर स.अ. की बीवियों पर फ़ज़ीलत को बयान करती हैं, जैसाकि शिया और सुन्नी दोनों उलमा ने इस हदीस को बयान किया है कि औरतों में ईमान के ऐतेबार से सबसे कामिल और सबसे बेहतर चार औरतें हैं, हज़रत आसिया (फिरऔन की बीवी) हज़रत मरयम, हज़रत ख़दीजा, हज़रत ज़हरा स.अ.। (इस्तीआब, सहीह बुख़ारी)

आपके अख़लाक़, अरब की सबसे मालदार ख़ातून होने के बावजूद आपकी सादगी, इस्लाम को फैलाने की आपकी कोशिश और समाज के दबे कुचले लोगों के लिए आपके दिल में दर्द को देख कर ही पैग़म्बर स.अ. आपके जीवन में आपका बेहद सम्मान करते थे और आपकी वफ़ात के बाद हमेशा आपको याद करते थे।