केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का उल्लेख करते हुए साफ़ कर दिया है की रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में बसने का अधिकार नहीं है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कह दिया है कि अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करने वाले रोंहिग्या मुसलमानों को यहां बसने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं केंद्र ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों की एक सीमा है और वो उस हद को पार करके संसद की शक्तियों को कमतर नहीं कर सकता है।
केंद्र सरकार ने कहा कि न्यायपालिका को संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत क्षेत्रों में प्रवेश करके अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए एक अलग कैटिगरी बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के ही कई फैसलों का हवाला देते हुए केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि एक विदेशी को केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। उसे देश में रहने और बसने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही उपलब्ध है।