ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाह खमेनेई ने महफिले उन्स बा क़ुरआन में फिलिस्तीन के दयनीय हालात पर चर्चा करते हुए कहा कि ग़ज़्ज़ा में भूख और प्यास के ज़रिए बच्चों और नवजात शिशुओं की हत्या जैसे अभूतपूर्व अपराधों ने पश्चिमी जगत के घिनौने चेहरे और उनकी सभ्यता को बेनक़ाब कर दिया है। ज़ायोनी सेना को तरह तरह के हथियार और अमेरिका और यूरोप से मदद मिल रही है लेकिन ग़ज़्ज़ा की जनता के बेमिसाल सब्र और प्रतिरोध तथा मुजाहिदों की दृढ़ता की वजह से दुश्मन अब तक कुछ भी हासिल नहीं कर पाया है और ग़ज़्ज़ा के प्रतिरोधी मोर्चे की नब्बे फ़ीसदी ताक़त और संसाधन सुरक्षित हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि ग़ज़्ज़ा की मदद, इस्लामी दुनिया का दीनी और इंसानी फ़रीज़ा बताया और कहा कि ज़ायोनी दुश्मन की किसी भी तरह मदद निश्चित तौर पर हराम और वास्तव में जुर्म है। अफ़सोस की बात है कि कुछ इस्लामी देशों के शासक और उनकी सरकारें यह काम कर रहे हैं लेकिन एक दिन वह ज़रूर पछताएंगे और अपनी इस ग़द्दारी की सज़ा भुगतेंगे।