लेबनान में एक आवासीय ईमारत पर इस्राईल के आतंकी हमलों के नतीजे में 11 आम नागरिकों और अलग अलग हमलों में हिज़्बुल्लाह के कई जवानों की शहादत के बाद हालात तनावपूर्ण है। ज़ायोनी मिडिया सय्यद हसन नसरुल्लाह की ख़ामोशी को तूफ़ान की आहट मान रहा है।
बता दें कि अब तक ग़ज़्ज़ा पर आक्रमण कर रहे इस्राईल को उलझने के लिए हिज़्बुल्लाह मक़बूज़ा फिलिस्तीन-लेबनान बॉर्डर पर सीमित अभियान चलाता रहा है।
अल-मयादीन ने कहा है कि लेबनानी प्रतिरोध संगठन हिज़्बुल्लाह ने अल-अक्सा तूफान के बाद से कुल मिलाकर 1038 बार ज़ायोनी प्रतिष्ठानों पर हमला किया है। संगठन के मुताबिक मुजाहिदीन ने किर्यत शमोना सैन्य अड्डे पर कई मिसाइलें दागी हैं।
लेबनानी इस्लामी प्रतिरोध ने ज़ायोनी बलों के नौसैनिक अड्डे और जासूसी के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले उपकरणों पर विशेष हथियारों से हमला किया है। हिज़्बुल्लाह के हमलों के बाद मक़बूज़ा फिलिस्तीन में रह रहे ज़ायोनी क्षेत्र से निकलकर दूसरे शहरों में चले गए हैं।
हिज़्बुल्लाह के हमलों के बाद नेतन्याहू को तीव्र विरोध का सामना करना पड़ रहा है। तल अवीव और अन्य शहरों में लाखों ज़ायोनी ग़ज़्ज़ा और लेबनान पर हमलों को समाप्त करने और शांति की मांग कर रहे हैं।
अल-अक्सा तूफान के बाद इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा के अलावा दक्षिणी लेबनान में नागरिक और सार्वजनिक संपत्ति पर लगातार हमला किया है, जिससे गंभीर क्षति हुई है। ज़ायोनी सेना के बर्बर हमलों के बाद वैश्विक स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई है।