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source : ابنا
शनिवार

27 जनवरी 2024

5:34:48 am
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शाम के दरबार मे हज़रत ज़ैनब स.अ. का ख़ुतबा

ऐ यज़ीद जो चाल भी चलना हो चल ले, जितनी कोशिश करना हो कर ले, जितनी ताक़त है तेरे पास सब झोंक दे, लेकिन ख़ुदा की क़सम तू हरगिज़ हमारा नाम और हमारे चाहने वालों के दिलों से हमारी याद कभी नहीं मिटा सकता, याद रख तू हमारे ख़ून से रंगीन अपनी आस्तीनों को कभी साफ़ नहीं कर सकता....

इमाम हुसैन अ.स. की शहादत के बाद 12 मोहर्रम को अहले हरम अ.स. का क़ाफ़िला इमाम सज्जाद अ.स. और हज़रत ज़ैनब स.अ. की सरपरस्ती कर्बला से कूफ़ा की ओर चला, कूफ़ा की मंज़िलों को तय करने के बाद इस क़ाफ़िले को दमिश्क मे यज़ीद के दरबार की ओर ले जाया गया। जब यज़ीद के दरबार में यह क़ाफ़िला पहुंच गया तो यज़ीद ने पहले दरबार में शहीदों के कटे हुए सरों को मंगवाया, और फिर इब्ने ज़ियाद के भेजे गए सिपाही ने यज़ीद के दरबार में तक़रीर कर के दरबारियों को बताया कि कर्बला वालों को कैसे शहीद किया गया।

 यह सब देख कर कुछ लोगों ने उसी दरबार में खड़े हो कर यज़ीद की कड़ी आलोचना की। यज़ीद चुपचाप सुनता रहा, फिर जब यज़ीद का दरबार पूरी तरह तैय्यार कर दिया गया तब अहले हरम अ.स. को दरबार में लाया गया। (तशय्यो दर मसीरे तारीख़, मुतर्जिम सैय्यद मोहम्मद तक़ी आयतुल्लाही, दसवां एडीशन, पेज 80)

फिर उसी दरबार में पैग़म्बर के घराने की औरतों को कनीज़ी में मांगने का सवाल उठता है, (इरशादे शैख़ मुफ़ीद, तर्जुमा मोहम्मद बाक़िर साएदी, तीसरा एडीशन, पेज 479) जिस पर हज़रत ज़ैनब स.अ. ने उस शख़्स और यज़ीद को भरे दरबार में ज़लील किया, यज़ीद ने जब सबके सामने अपने अपमान को देखा तो उसने ख़ैज़रान की लकड़ी से इमाम हुसैन अ.स. के मुबारक होंटों पर गुस्ताख़ी करना शुरू कर दी, यही वह समय था जब इमाम अली अ.स. की बहादुर बेटी ने उसी दरबार में उन्हीं लोगों के सामने ऐसा ख़ुतबा दिया कि यज़ीद और उसकी हुकूमत की चूलें हिल गईं।

हम यहां पर शहज़ादी ज़ैनब स.अ. के उसी ख़ुतबे का तर्जुमा पेश कर रहे हैं, जिस ख़ुतबे को लुहूफ़ में भी पढ़ा जा सकता है।

हज़रत ज़ैनब खड़ी हुईं और ख़ुदा की हम्द और पैग़म्बर और उनके ख़ानदान पर सलवात पढ़ने के बाद फ़रमाया, अल्लाह ने सच कहा है कि कि जिन्होंने बुरा काम अंजाम दिया, अल्लाह की निशानियों का इंकार किया और उनका मज़ाक़ उड़ाया, उनका अंजाम बुरा है। ऐ यज़ीद क्या तू यह सोचता है कि तूने हमारे लिए ज़मीन और आसमान के रास्तों को तंग कर दिया है और हमें मजबूर बना कर असीरों की तरह क़ैद कर लिया है, तो इससे हम अल्लाह के नज़दीक ज़लील हो गए और तेरी इज़्ज़त बढ़ गई है और जिसकी वजह से तेरा अहंकार इतना बढ़ गया? तू ख़ुश हो रहा है कि सब कुछ तेरी इच्छा अनुसार हो रहा है? होश की दवा कर, क्या तू अल्लाह का फ़रमान भूल गया कि काफ़िर यह न सोचे कि अगर हम उनको ढ़ील दे रहे हैं तो यह उनके फ़ायदे के लिए है, बल्कि ढ़ील देने का मक़सद यह है कि वह और अधिक गुनाह करें और उनके लिए और दर्दनाक अज़ाब है।

ऐ हमारे नाना के आज़ाद किए हुए ग़ुलामों की औलाद, क्या यही इंसाफ़ है कि तूने अपनी बीवियों और कनीज़ों को पर्दे में रखा है लेकिन रसूल स.अ. की बेटियां भरे दरबार में असीर कर के खड़ी की गई हैं? यह कहां का इंसाफ़ है कि पैग़म्बर स.अ. के घराने की औरतों के चेहरे को भरे दरबार में ज़ाहिर कर के उनका अपमान करो, उनको एक शहर से दूसरे शहर फिराओ, अपने और ग़ैर सब उनको देखें, शरीफ़ ज़लील उनके चेहरे को देखें, जबकि उनकी हालत पर कोई तरस खाने वाला भी नहीं है? उन पर कैसे भरोसा किया जा सकता है जिन्होंने आज़ाद लोगों के कलेजे चबाए हों, (यह इस बात की ओर इशारा है कि हिंद के बेटे से क्या उम्मीद लगाई जा सकती है) वह कैसे हम से दुश्मनी न निकालें जबकि वह बद्र और ओहद की नफ़रतें दिल में लिए बैठे हैं, और उनके दिल दुश्मनी और ईर्ष्या से भरे हुए हैं।

यज़ीद इमाम हुसैन अ.स. के होंटों पर ख़ैज़रान की छड़ी से गुस्ताख़ी करते हुए शेर पढ़ रहा था जिसमें अपने बाप दादा को पुकार कर कह रहा था कि देखो मैंने क्या किया है, उसके बारे में हज़रत ज़ैनब स.अ. ने फरमाया कि ऐ यज़ीद तू तो यह शेर पढ़ेगा ही, तू हमारे दिलों को ज़ख़्मी कर के, और हमारे ख़ून को बेरहमी से बहा कर अपने बाप दादाओं को यह सोंच कर पुकार रहा है कि वह तेरी आवाज़ सुनेंगे, बहुत जल्द तू भी उनके पास पहुंच जाएगा और उस समय कहेगा कि ऐ काश गूंगा और अपाहिज होता ताकि जो कुछ कहा है और किया है वह न कहता और न करता।

फिर आप अल्लाह तो पुकार कर कहती हैं, ख़ुदाया हमारा हक़ इस से छीन ले, और जिस जिस ने हम पर ज़ुल्म किया है उन सब से बदला ले, और जिसने भी हमारा और हमारी मदद करने वालों का ख़ून बहाया है उनको नाबूद कर दे।

ऐ यज़ीद, तूने अपनी ही खाल उतारी है और अपने ही टुकड़े किए हैं, और तू बहुत जल्द रसूल स.अ. का ख़ून बहाने, उनके अहले बैत अ.स. का घोर अपमान करने के जुर्म में मुजरिम बन कर उनके सामने खड़ा होगा, और उस समय अल्लाह उनके हक़ को तुझ से मांगेगा, और ख़बरदार जो अल्लाह की राह में क़त्ल कर दिए गए हैं उनको मुर्दा मत सोंचना वह ज़िंदा हैं और अल्लाह के पास से रोज़ी हासिल कर रहे हैं, तेरे फ़ैसले के लिए अल्लाह और तुझ से बदले के लिए पैग़म्बर स.अ. ही काफ़ी हैं, जबकि जिब्रईल पैग़म्बर स.अ. के मददगार होंगे।

और जिस जिस ने तुझे हुकूमत पर बिठाने के लिए कोशिशें कीं वह जान लें कि ज़ालिमों का अंजाम बहुत बुरा है, और सुन हालात ने तुझ से मुख़ातिब होने पर मजबूर कर दिया, लेकिन जान ले मैं तेरी हैसियत मिट्टी में मिला दूंगी और तेरी घिनौना चेहरा पूरी दुनिया के सामने पेश करूंगी, और हां यह जो हमारा आंसू बहाना देख रहा है यह तेरे डर या तेरे ताक़त की वजह से नहीं है बल्कि हमारे दिल अपने प्यारों के लिए तड़प रहे हैं।

ऐ यज़ीद जो चाल भी चलना हो चल ले, जितनी कोशिश करना हो कर ले, जितनी ताक़त है तेरे पास सब झोंक दे, लेकिन ख़ुदा की क़सम तू हरगिज़ हमारा नाम और हमारे चाहने वालों के दिलों से हमारी याद कभी नहीं मिटा सकता, याद रख तू हमारे ख़ून से रंगीन अपनी आस्तीनों को कभी साफ़ नहीं कर सकता, तेरे हाथ बिकी हुई यह भीड़ तेरी यह हुकूमत बहुत जल्द नाबूद होगी और बहुत जल्द ही हक़ की आवाज़ ग़ूजेगी कि ज़ालिमों पर ख़ुदा की लानत हो।

अल्लाह का शुक्र कि उसने हमारी शुरूआत सआदत और हमारा अंजाम शहादत रखा, ख़ुदा से दुआ है कि उनके सवाब को बढ़ा दे, और हमारा नेक जानशीन बनाए, वह मेहेरबान और रहम करने वाला ख़ुदा है, वह हमारे हर काम में हमारे लिए काफ़ी है और वही हमारा वकील है। (मक़तलुल-हुसैन अ.स., अबू मिख़नफ़, तर्जुमा सैय्यद अली मोहम्मद जज़ाएरी, पहला एडीशन, पेज 393)