फिलिस्तीन में जनसंहार मचा रहे इस्राईल को लाल सागर में सुरक्षा देने के नाम पर यमन के खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन के बर्बर हमलों का नतीजा कितना गंभीर हो सकता है इसे लेकर विश्व समुदाय में चिंता होना स्वभाविक है।
इस संबंध में अमेरिका की "नेशनल इंटरेस्ट" पत्रिका ने लिखा "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड के विनाशकारी हमलों के जवाब में अंसारुल्लाह यमन की जवाबी कार्रवाई पर केंद्रित हैं जिसका एक निशाना जिबूती में अमेरिकी नौसैनिक अड्डा भी बन सकता है।
"नेशनल इंटरेस्ट" ने लिखा "यमन के ख़िलाफ़ अमेरिकी और ब्रिटिश सेनाओं की कार्रवाई के बावजूद, अंसारुल्लाह अभी भी नौसैनिक हमले जारी रखने में सक्षम रहेगा। इसके अलावा, इन दोनों देशों के हमले अंसारुल्लाह को संयुक्त राज्य अमेरिका और इस्राईल तथा इनके सहयोगियों के खिलाफ अपने अभियानों का दायरा बढ़ाने के लिए उकसाएंगे।
यमन पर हमलों के थोड़ी देर बाद ही मोहम्मद अब्दुस सलाम ने कहा था कि अमेरिकी हमला हमे इस्राईल के जहाजों को निशाना बनाने से नहीं रोक सकता। एक अन्य यमनी अधिकारी ने कहा कि हमने लक्ष्यों की एक सूची तैयार की है जिसमें क्षेत्र में अमेरिकी ठिकाने भी शामिल हैं, सऊदी अरब, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, बहरैन, इराक, कुवैत और सीरिया में अमेरिकी ठिकाने हमारे टारगेट में शामिल हो सकते हैं। हालाँकि, एक स्पष्ट लक्ष्य जिसका उल्लेख नहीं किया गया है जिबूती में अमेरिकी नौसेना का बेस (कैंप लेमनियर) हो सकता है जो यमन से 80 मील की दूरी पर स्थित है, यह अफ़्रीका में अमेरिकी अफ़्रीकी कमांड (AFRICOM) के संचालन का मुख्य आधार है।