जिस समय भारत और इस्राईल एक दुसरे के बेहद क़रीब नज़र आ रहे हैं ठीक उसी समय भारतीय विदेश मंत्री की ईरान यात्रा ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
मालदीव से विवाद के बीच अब इस्राईल लक्षद्वीप के मुद्दे पर जब भारत के साथ दिख रहा है, ठीक उसी समय भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस्राईल के विरोधी माने जाने वाले ईरान के दौरे पर गए। इस मुलाक़ात में हाल के दिनों में चाबहार पोर्ट और समंदर में जहाज़ों पर बढ़े हमलों पर भी चर्चा की गई।
राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने इस मुलाक़ात में भारत और ईरान के बीच हुए समझौतों को लागू करने और तेज़ी लाने पर ज़ोर दिया। इन समझौतों में चाबहार प्रोजेक्ट भी शामिल है।
रईसी ने ये भी कहा कि जो समझौते भारत ईरान के बीच हुए, उनमें आई देरी की क्षतिपूर्ति किए जाने की ज़रूरत है। भारत ईरान में चाबहार पोर्ट को विकसित कर रहा है और रईसी इसी पोर्ट के काम में आई देरी की तरफ़ इशारा कर रहे थे।
चाबहार को लेकर कहा जा रहा है कि प्रोजेक्ट में देरी के कारण ईरान भारत से ख़ुश नहीं है। ईरान चाहता है कि भारत इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करे. इस मामले में भारत की तुलना चीन से की जाती है कि चीन अपनी परियोजनाओं को जल्दी लागू कर देता है जबकि भारत ऐसा नहीं कर पाता है।