अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त करने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार को सुनवाई शुरू की। इस दौरान केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि एएमयू के ‘राष्ट्रीय चरित्र’ को देखते हुए यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता।
केंद्र ने कोर्ट से कहा कि एएमयू किसी विशेष धर्म या धार्मिक संप्रदाय का विश्वविद्यालय नहीं है और न ही हो सकता है क्योंकि कोई भी विश्वविद्यालय जिसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है वह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपनी लिखित दलील में कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक कि आजादी के पहले से भी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस जटिल मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोई शिक्षण संस्थान किसी कानून द्वारा विनियमित (रेगुलेटेड) है, महज इसलिए उसका अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा समाप्त नहीं हो जाता।