AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
शुक्रवार

15 दिसंबर 2023

7:48:40 am
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अय्यामे फ़ातिमिया

हज़रत फ़ातिमा स.अ. की ज़िंदगी पर एक निगाह

आप ने अपने वालिद के साथ ऐसा रवैया अपनाया कि आपको ख़ुद पैग़म्बर स.अ. ने उम्मे अबीहा का लक़ब दे दिया, आपके इस एक लक़ब में आपकी ख़िदमत, मेहनत, अपने वालिद का ख़्याल रखना, आपकी दीन के लिए की जाने वाली कोशिशें और भी बहुत कुछ शामिल है।

शादी से पहले की ज़िंदगी को अगर देखा जाए तो आप ने नूर और रहमत के पैग़म्बर, नूरानी दुनिया को लोगों तक पहुंचाने वाले, अज़ीम इंक़ेलाब की बुनियाद रखने वाले ने जब से तौहीद के परचम को बुलंद किया तो आप ने अपने वालिद के साथ ऐसा रवैया अपनाया कि आपको ख़ुद पैग़म्बर स.अ. ने उम्मे अबीहा का लक़ब दे दिया, आपके इस एक लक़ब में आपकी ख़िदमत, मेहनत, अपने वालिद का ख़्याल रखना, आपकी दीन के लिए की जाने वाली कोशिशें और भी बहुत कुछ शामिल है। आपको बिना किसी वजह के यह लक़ब नहीं मिला बल्कि आपके अंदर ख़िदमत के उस जज़्बे जिसकी दीन को और पैग़म्बर स.अ. को ज़रूरत थी इन्हीं सब बातों को देख कर यह लक़ब मिला, फिर चाहे मक्के की ज़िंदगी में पैग़म्बर स.अ. पर होने वाले ज़ुल्म के बाद आपका उनकी देखभाल करना और ज़ख़्मों से बहते हुए लहू का पोछना हो या शेबे अबी तालिब में आर्थिक और माली पाबंदियों के दौरान गुज़रने वाली दिन रात की सख़्तियां हों, या वह समय जब आपकी वालिदा और हज़रत ख़दीजा स.अ. पैग़म्बर स.अ. के बीच हमेशा के लिए जुदाई हुई और वह अल्लाह की बारगाह चली गईं, और फिर कुछ ही समय बाद हज़रत अबू तालिब अ.स. जैसे पैग़म्बर स.अ. के शफ़ीक़ और मेहेरबान चचा की वफ़ात हो, ऐसे कठिन समय और मुश्किल घड़ी में हज़रत ज़हरा स.अ. आगे बढ़ीं और अपने नन्हें हाथों से पैग़म्बर स.अ. के चेहरे से ग़म और दुख की ख़ाक को साफ़ किया और अपने वालिद के लिए तस्लली और सब्र की वजह बनीं, केवल इन्हीं कुछ लाइनों में अगर आप ध्यान दें तो आपको हज़रत ज़हरा स.अ. की अज़मत और पैग़म्बर स.अ. की तंहाई के समय में उनका अहम रोल समझ में आ जाएगा।

आपकी शादी के लिए बहुत से रिश्ते थे यह कोई मामूली बात नहीं है, इसलिए कि आप इस्लामी जगत के अज़ीम रहबर और हाकिम की बेटी थीं, रिश्ता देने वालों में एक से एक बड़े ख़ानदान थे, एक से एक पैसे वाले थे, बड़ी बड़ी हैसियत और ऊंचे ऊंचे पदों पर बैठने वाले घराने से आपके लिए रिश्ते आ रहे थे, लेकिन हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. ने अल्लाह की राह में पूरी दुनिया को वक़्फ़ कर देने वाले पाक जवान जो हमेशा हर मौक़े पर इस्लाम के लिए हाज़िर रहता था उसको चुना, यह इंतेख़ाब अल्लाह का इंतेख़ाब था जिसे आपने अपने लिए पसंद किया और ख़ुशी ख़ुशी उसे अपने लिए चुन लिया।

इसके बाद इस्लाम का सूरज पूरी तरह से अपने नूर को पहुंचाना शुरू कर देता है, और फिर आपकी शादी इमाम अली अ.स. से हो जाती है, इमाम अली अ.स. एक फ़िदाकार और इंक़ेलाबी जवान थे और उनका पूरा वजूद इस्लाम की तबलीग़, उसे मज़बूत बनाने और अल्लाह और उसके रसूल स.अ. की मर्ज़ी हासिल करने के लिए वक़्फ़ था, इमाम अली अ.स. ने अपनी ज़ात के लिए दुनिया की कोई चीज़ ना जमा की और ना ही अपने पीछे कुछ छोड़ा, पैग़म्बर स.अ. की ज़िंदगी के आख़िरी दस सालों में इमाम अली अ.स. ने जो भी काम किया वह केवल इस्लाम की तरक़्क़ी के लिए था।

यह जो कहा जाता है कि हज़रत ज़हरा स.अ., इमाम अली अ.स. और उनके बच्चे कई कई दिन भूखे रहते थे तो उसकी वजह यही है कि उनके पास जो कुछ था वह सब अल्लाह की राह में नए मुसलमान होने वालों के लिए वक़्फ़ कर दिया था, वरना उस दौर में भी इमाम अली अ.स. अपनी मेहनत द्वारा भी सबसे ज़्यादा पैसा कमा सकते थे, यह वही अली (अ.स.) हैं कि जो आने वाले समय को देखते हुए वहां के लोगों की मुश्किलों को पहले से ही महसूस करते हुए अकेले ही पूरे पूरे कुंवें खोदते थे और जब पानी तेज़ी से उबलने लगता था तो आप बाहर निकल आते थे और कुआं खोदते समय अपने हाथ पैर में लग जाने वाली मिट्टी को धोए बिना उस कुवें को उस जगह के लोगों के लिए वक़्फ़ करने के लिए तहरीर लिखना शुरू कर देते थे, इमाम अली अ.स. ने इस तरह के बहुत से काम अंजाम दिए हैं, कई खजूर के बाग़ों आपने ख़ुद अपने हाथों से बेलचा चला कर हरा भरा किया, यही वह मदीना है जहां आपने इतनी मेहनत की मुसलमानों के लिए तो सवाल यह दिमाग़ में आता है कि जब इतना ग़रीबों का ख़्याल रखते थे जब इतना अच्छी तरह से सबसे पेश आते थे तो आप उसी मदीने में भूखे क्यों रहे? हदीस में है कि एक हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. अपने वालिद पैग़म्बर स.अ. के घर तशरीफ़ ले गईं तो भूखे रहने की वजह से आपके चेहरे का रंग पीला पड़ गया था, पैग़म्बर स.अ. ने जब उम्मे अबीहा बेटी की यह हालत देखी तो दिल बेचैन हो गया आंखें भर आईं और आपने हज़रत ज़हरा स.अ. के लिए दुआ की।

इमाम अली अ.स. की सारी मेहनत का मक़सद अल्लाह की मर्ज़ी का हासिल करना और इस्लाम की तरक़्क़ी था, उन्होंने अपने अपनी बीवी और अपने बच्चों के लिए कोई काम अंजाम नहीं दिया, यही वजह है कि आप दुनिया के सबसे ईमानदार और फ़िदाकार स्वयंसेवक हैं, और इस जज़्बे को हर उस इंसान को अपनाना चाहिए जो इस घराने से मोहब्बत और इताअत का दावा करता है, हर उस इंसान को इन्हें आइडियल बनाना चाहिए जो समाज सेवा करना चाहता है।

शादी हो जाने के बाद आपने इमाम अली अ.स. के साथ ऐसी पाक और नेक ज़िंदगी गुज़ारी कि इमाम अली अ.स. पूरी तरह राज़ी थे, अपने उम्र के आख़िरी दिनों में आपने जो बातें इमाम अली अ.स. से कहीं उनसे साफ़ ज़ाहिर होता है कि इतने दुख, ग़म, मुसीबत के बावजूद आप भी इमाम अली अ.स. से राज़ी थीं, आपने सब्र का सही मतलब सिखाया, वालिद की ख़िदमत, शौहर की इताअत, बच्चों की तरबियत और विलायत को बचाने के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान कर दिया, इस राह में आपने हर तरह की मुसीबत और सख़्तियों को बर्दाश्त किया और आख़िरकार इसी राह में शहादत को गले लगा लिया।