ईरान की इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने पूर्वी अजरबैजान प्रांत के 10 हजार शहीदों की स्मृति मनाने वाली कांग्रेस के सदस्यों से मुलाक़ात में कहा कि शहीद ईरान राष्ट्र की पहचान हैं और इस राष्ट्रीय पहचान और अस्मिता को नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शहीदों को याद करने का मतलब केवल घटनाओं और पिछली घटनाओं को याद करना नहीं है, बल्कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से शहीदों के उत्कृष्ट गुणों जैसे विश्वास, धर्मपरायणता, शहादत, बहादुरी और बलिदान को युवा पीढ़ी तक स्थानांतरित करना है।
आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने कहा कि शहीद युवाओं के लिए सबसे अच्छा आदर्श हैं, जिनके चरित्र को फिल्मों, कविताओं और किताबों के माध्यम से युवा पीढ़ी तक पहुंचाया जाना चाहिए।
उन्होंने शहीदों की याद और उपलब्धियों को न भूलने का आग्रह किया और कहा कि युवा पीढ़ी को क्रांति से पहले और बाद में शहीदों के महान बलिदानों का असली कारण जानना चाहिए और किस उद्देश्य के लिए उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर किये यह भी उन्हें पता होना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि शहीदों की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने में देरी हुई है, यही कारण है कि युवा पीढ़ी के एक बड़े वर्ग को अभी भी शहीदों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इस संबंध में राष्ट्रीय मीडिया संगठनों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने कहा कि अजरबैजान ईरान की प्रमुख पहचान है। पवित्र रक्षा और उसके बाद अजरबैजान के लोगों ने महान बलिदान दिया, जिनमें मेहदी बाकेरी, हामिद बाकेरी, अली तजल्लाई और मुर्तजा यागचियान जैसे शहीद शामिल थे। पूरे देश के पांच इमामे जुमा शहीदों में से 2 इसी तबरेज़ शहर के हैं।