AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
मंगलवार

12 दिसंबर 2023

8:34:10 am
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अय्यामे फ़ातिमिया

फ़ातिमा अ.स. इसलिए फ़ातिमा अ.स. थी-3

आख़िर कैसे किसी की ख़ुशी और नाराज़गी से अल्लाह ख़ुश और नाराज़ हो जाएगा? इतना बड़ा मर्तबा किसी को ऐसे ही तो नहीं मिल सकता, फिर हज़रत ज़हरा स.अ. कैसे अल्लाह की ख़ुशी और नाराज़गी का कारण बनी?

** अधिकतर ऐसा होता कि रात के सन्नाटे में बच्चे आप को अल्लाह की इबादत करते हुए रोते हुए देखते, अधिकतर ऐसा भी होता कि एक तिहाई रात गुज़र जाने के बाद आप बच्चों को जगा कर कहतीं कि बच्चों उठो अब इबादत का समय है।

** इमाम हसन अ.स. फ़रमाते हैं कि एक बार शबे जुमा में मैंने अपनी मां को सुबह तक इबादत करते और अल्लाह से बातें करते हुए देखा, सूरज के निकलने तक मैंने अपनी मां को कभी रुकूअ कभी सजदे में देखा, मां अल्लाह से बातें कर रहीं हैं और सबके लिए दुआ कर रही हैं, मैंने पूछा आपने सबके लिए दुआ की अपने लिए क्यों नहीं की? आपने फ़रमाया बेटा पहले पड़ोसियों का हक़ है फिर हमारा।

एक और रिवायत में मिलता है कि इमाम हसन अ.स. ने अपनी मां की इबादत के बारे में फ़रमाया कि मेरी मां इतनी इबादत करती थीं कि पैरों में सूजन आ जाती थी।

** आपका अपने वालिद के साथ इतना गहरा रिश्ता था कि जब आप आती थीं तो पैग़म्बर स.अ. अपनी जगह से खड़े हो जाते थे, सूरए नूर की आयत न. 63 (जिसमें अल्लाह ने लोगों को हुक्म दिया कि पैग़म्बर स.अ. को इस तरह मत पुकारो जिस तरह तुम लोग आपस में एक दूसरे को पुकारते हो) के नाज़िल होने के बाद आपको अपने वालिद को बाबा कह कर पुकारने में शर्म महसूस होने लगी, एक दिन पैग़म्बर स.अ. ने आपको बुला कर कहा बेटी तुम मुझे बाबा कह कर क्यों नहीं बुलातीं यह आयत जो नाज़िल हुई है यह बाक़ी सब लोगों के लिए है, तुम मुझे बाबा कह ही बुलाया करो फिर पैग़म्बर स.अ. ने फ़रमाया तुम मुझ से हो मैं तुम से हूं, तुम्हारे बाबा कहने से मेरा दिल मज़बूत होता है और अल्लाह की ख़ुशी का कारण है।

** पैग़म्बर स.अ. ने हज़रत ज़हरा स.अ. को शादी के समय दुल्हन का एक विशेष जोड़ा दिया था, शादी के बाद एक दिन एक ज़रूरतमंद दरवाज़े पर आया जिसने लिबास का सवाल किया, आपने उसी शादी के जोड़े को उतार कर उस ज़रूरतमंद को दे दिया, पैग़म्बर स.अ. जब आपके घर आए और आपको उस दुल्हन वाले जोड़े की जगह एक सादे और पुराने कपड़े में देख कर पूछा बेटी तुम यह पुराने कपड़े पहने हो वह दुल्हन वाला जोड़ा कहां गया? आपने जवाब दिया बाबा एक बार एक ज़रूरतमंद आपके पास आया था और आपसे कपड़े का सवाल किया था उस समय आपके पास वही एक जोड़ा कपड़ा था जो आप पहने थे लेकिन आपने उसे उतार कर दे दिया था आपकी पैरवी करते हुए मैंने भी वह जोड़ा उस ज़रूरतमंद को दे दिया।

कुछ रिवायत में है कि आपने फ़रमाया मैंने सोंचा इस आयत पर अमल करूं जिसमें कहा गया है कि तुम उस समय तक नेकी तक नहीं पहुंच सकते जब तक अपनी पसंदीदा चीज़ अल्लाह का राह में ख़र्च न कर लो।

** शादी के अगले दिन पैग़म्बर स.अ. ने इमाम अली अ.स. पूछा आपने हज़रत ज़हरा स.अ. को कैसा पाया? आपने फ़रमाया मैंने उनको अल्लाह की इबादत में अपना मददगार पाया।

** इमाम अली अ.स. फ़रमाते हैं कि हज़रत ज़हरा स.अ. ने जितने दिन मेरे घर में ज़िंदगी गुज़ारी मेरे लिए कोई क्षण नहीं आया जो मेरे लिए परेशानी का कारण बनता, मुझे हज़रत ज़हरा स.अ. ने किसी काम पर मजबूर नहीं किया, मेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कभी कोई क़दम नहीं उठाया, मैं जब भी हज़रत ज़हरा स.अ. को देखता था मेरे सारे ज़ख़्म सारे दुख दर्र ख़त्म हो जाते थे।


जारी है ......