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source : ابنا
सोमवार

11 दिसंबर 2023

6:32:41 am
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अय्यामे फ़ातिमिया

फ़ातिमा अ.स. इसलिए फ़ातिमा अ.स. थी-2

आख़िर कैसे किसी की ख़ुशी और नाराज़गी से अल्लाह ख़ुश और नाराज़ हो जाएगा? इतना बड़ा मर्तबा किसी को ऐसे ही तो नहीं मिल सकता, फिर हज़रत ज़हरा स.अ. कैसे अल्लाह की ख़ुशी और नाराज़गी का कारण बनी?


पैग़म्बर स.अ. अपनी बेटी का बेहद सम्मान करते थे। आपने अपनी बेटी के लिए फ़रमाया फ़ातिमा अ.स. मेरे कलेजे का टुकड़ा है जिसने उनको तकलीफ़ पहुंचाई उसने मुझे तकलीफ़ पहुंचाई, उनकी मर्ज़ी मेरी मर्ज़ी है और उनके नाराज़ होने से अल्लाह नाराज़ होता है।

आख़िर कैसे किसी की ख़ुशी और नाराज़गी से अल्लाह ख़ुश और नाराज़ हो जाएगा? इतना बड़ा मर्तबा किसी को ऐसे ही तो नहीं मिल सकता, फिर हज़रत ज़हरा स.अ. कैसे अल्लाह की ख़ुशी और नाराज़गी का कारण बनी?

** हज़रत ज़हरा स.अ. की इबादत इस तरह थी कि घर में एक ख़ास जगह इबादत के लिए चुन रखी थी, अल्लाह की इबादत करते समय आप पूरी तरह उसी में खो जाती थीं और आप मुस्तहब अरकान पर विशेष ध्यान देती थीं, आपने अपनी ज़िंदगी के अंतिम क्षणों में असमा से कहा कि असमा मुझे वह इतर ला दो जिसे हमेशा नमाज़ से पहले लगाती हूं और वह कपड़े जिसे नमाज़ के लिए पहनती हूं और मेरे पास ही बैठ जाओ अगर नमाज़ में मेरी तबियत बिगड़ने लगे तो मुझे सहारा दे कर उठाना और अगर तुम्हारे उठाने से न उठ पाऊं तो अबुल हसन अ.स. के पास ख़बर भेज देना।

** इबादत पर इतने विशेष ध्यान के बावजूद अपने वालिद हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स.अ. का इतना ख़्याल रहता था कि एक दिन आप मुस्तहब नमाज़ पढ़ रही थीं जैसे ही अपने वालिद की आवाज़ सुनी नमाज़ छोड़ कर उनके पास आईं और आकर सलाम किया, पैग़म्बर स.अ. ने सलाम का जवाब दिया और सर पर हाथ फेर कर हाथों को दुआ के लिए उठा अपनी बेटी के लिए इस तरह दुआ की, ख़ुदाया इस पर अपनी रहमत नाज़िल फ़रमा।

** एक दिन पैग़म्बर स.अ. ने सलमान फ़ारसी से कहा, सलमान यह अरबी अभी नया नया मुसलमान हुआ है और यह भूका है जाओ इसके लिए खाने का कुछ बंदोबस्त करो, सलमान सीधे इमाम अली अ.स. के दरवाज़े पर पहुंचे शायद सलमान जानते थे कि कहीं मिले न मिले अली अ.स. के दर से ख़ाली हाथ वापस नहीं लौटेंगे, वहां पहुंच कर दरवाज़ा खटखटाया इमाम अली अ.स. घर पर नहीं थे हज़रत ज़हरा स.अ. ने आने की वजह पूछी, सलमान ने कहा आपके वालिद ने किसी अरबी के लिए खाने का बंदोबस्त करने को कहा था तो मैं आपके दरवाज़े पर आ गया, आपने फ़रमाया सलमान ख़ुदा की क़सम घर में खाने को कुछ भी नहीं है बड़ी मुश्किल से हसन अ.स. और हुसैन अ.स. को भूखा सुलाया है, लेकिन फिर आपने कहा सलमान ख़ैर और नेकी को मेरे दरवाज़े तक चल कर आई है इसलिए वापस कैसे कर सकती हूं, फिर आपने सलमान को अपना एक लिबास दे कर कहा कि सलमान यह मेरा लिबास है इसे शमऊन (मदीने में रहने वाला एक यहूदी जो बाद में मुसलमान हो गया था) के पास ले जाओ और इसके बदले खजूर और जौ ले आओ, सलमान वह लिबास लेकर शमऊन के पास गए और सारी घटना उसको बताई, जैसे ही उसको पता चला कि यह लिबास पैग़म्बर स.अ. की बेटी का है और उनके घर में कुछ खाने पीने के लिए नहीं है तुरंत उसके मुंह से यह जुमला निकला कि सलमाम ज़ोहद इसी को कहते हैं, और यह दुनिया और उसकी दौलत से दिल न लगाना यह वही सिफ़त है जिसके बारे में तौरैत में मैंने पढ़ा है, फिर वह कहता है कि इसका मतलब हज़रत ज़हरा स.अ. जिस ख़ुदा को मानती हैं वही हक़ है, उसके बाद वह उसी समय कलमा पढ़ कर मुसलमान हो गया और उसने खजूर और जौ सलमान को ला कर दे दी, सलमान ख़ुशी ख़ुशी उसे ले कर पहुंचे और हज़रत ज़हरा स.अ. को खजूर और जौ ले जा कर दे दी, आपने अपने हाथों से जौ को पीस कर आटा तैयार किया और फिर रोटी बना कर सलमान को दे दीं, सलमान ने कहा शहज़ादी आप भी भूखी हैं हसनैन अ.स. भी भूखे हैं कुछ रोटियां इनमें से अपने लिए रख लीजिए, हज़रत ज़हरा स.अ. ने फ़रमाया ऐ सलमान हम जो चीज़ अल्लाह की राह में दे देते हैं फिर उसमें हाथ नहीं लगाते।

** सलमान ही से नक़्ल है कि किसी काम से हज़रत ज़हरा स.अ. के घर गया तो मुझे महसूस हुआ आप चक्की चला रही हैं और साथ ही साथ क़ुर्आन की तिलावत भी कर रही हैं।

जारी है ....