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गुरुवार

7 दिसंबर 2023

5:38:33 am
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अय्यामे फ़ातिमिया

हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स.अ. क़ुर्आन के आईने में-2

या रसूलल्लाह आपके अज़ीज़ और रिश्तेदार जिनसे मोहब्बत हम पर वाजिब हुई है वह कौन हैं? आपने फ़रमाया: अली (अ.स.) फ़ातिमा (स.अ.) और उनके दोनों बेटे (इमाम हसन अ.स., इमाम हुसैन अ.स.)।


हज़रत ज़हरा स.अ. का शुमार चौदह मासूमीन अ.स. और अल्लाह के ख़ास औलिया में होता है, क़ुर्आन में अल्लाह ने अहलेबैत अ.स. की शान में बहुत सी आयतें नाज़िल की हैं जिनमें से कुछ यहां पर बयान कर रहे हैं:

आयते मवद्दत

इरशाद होता है: "(ऐ पैग़म्बर) कह दीजिए कि मैं उसका तुमसे सिला नहीं मांगता मगर अपने अज़ीज़ों से मोहब्बत"

पैग़म्बर स.अ. ने अल्लाह से अपनी रिसालत का अज्र अपने अज़ीज़ों से मोहब्बत की सूरत में बयान किया है, यानी केवल पैग़म्बर स.अ. के अहलेबैत अ.स. से मोहब्बत ही आपकी अज़ीम रिसालत का अज्र क़रार पा सकती है, यह क़ीमती मोहब्बत पैग़म्बर स.अ. की रिसालत के बराबर है और सभी शिया और सुन्नी उलमा इस बात को मानते हैं कि यह आयत पैग़म्बर स.अ. के पाक अहलेबैत अ.स. यानी इमाम अली अ.स., हज़रत ज़हरा स.अ., इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. की शान में नाज़िल हुई है।

अहमद इब्ने हंबल मनाक़िब में, हाफ़िज़ इब्ने मुंज़िर, इब्ने अबी हातिम, तबरानी, इब्ने मरदूया, मुफ़स्सिर सअलबी, अबू नईम, मुफ़स्सिर बग़वी और इब्ने मग़ाज़िली यह सब इब्ने अब्बास से रिवायत करते हैं कि: यह आयत नाज़िल होने के बाद हमने पैग़म्बर स.अ. से सवाल किया: या रसूलल्लाह आपके अज़ीज़ और रिश्तेदार जिनसे मोहब्बत हम पर वाजिब हुई है वह कौन हैं? आपने फ़रमाया: अली (अ.स.) फ़ातिमा (स.अ.) और उनके दोनों बेटे (इमाम हसन अ.स., इमाम हुसैन अ.स.)।

आयते मुबाहेला

जिसमें अल्लाह का इरशाद है कि: "फिर अगर यह लोग हज़रत ईसा के बारे में तुमसे झगड़ा करें और तुम को तो सच्चाई तो मालूम हो ही गई है तो तुम उनसे कहना कि आओ हम अपने बेटों और औरतों को बुलाएं तुम अपने बेटों और औरतों को बुलाओ और हम ख़ुद भी आएं और तुम भी और भी दोनों गिरोह मिल कर अल्लाह से दुआ करें और झूठों पर लानत भेजें"

यह आयत साफ़ तौर से इस बात की तरफ़ इशारा कर रही है कि जब पैग़म्बर स.अ. ने नजरान के मसीही उलमा से मुबाहेला किया तो उस समय हज़रत ज़हरा स.अ. मौजूद थीं, हज़रत ज़हरा स.अ. का पाक वजूद का ज़िक्र दूसरे चार मासूमीन के साथ आयत में आया है, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि मुबाहेला (एक दूसरे पर लानत भेजना) कोई मामूली काम नहीं है और इसमें कोई मामूली इंसान शामिल नहीं हो सकते इसलिए केवल पाक और मुक़द्दस हस्तियां ही मुक़ाबले पर आने वालों को झूठा साबित कर सकती हैं और उन पर लानत भेज सकती हैं।

चूंकि जब तक कोई अल्लाह की बारगाह में उसका क़रीबी बंदा नहीं होता तब तक उसकी लानत और बद दुआ में असर नहीं होता और हज़रत की शख्स़ियत ऐसी ही बा असर थी इसीलिए इस आयत का मिसदाक़ क़रार दी गईं।

या इसी तरह क़ुरआन की वह आयत जिसमें जनाब आदम की तौबा के क़बूल होने का ज़िक्र है इरशाद होता है: "फिर आदम ने अल्लाह से कुछ लफ़्ज़ सीखे (और माफ़ी मांगी) तो अल्लाह ने उनकी तौबा क़बूल कर ली, बेशक वह माफ़ करने वाला और रहम करने वाला है"

इस आयत की तफ़सीर में कुछ ऐसी हदीसें मौजूद हैं जिसमें बहुत ही अज़ीम हक़ीक़तों से पर्दा उठाया गया है, उनसे मालूम होता है कि हज़रत ज़हरा स.अ. के मुक़द्दस वजूद के सदक़े में इस दुनिया को पैदा किया गया, जिस तरह पैग़म्बर स.अ., इमाम अली अ.स., इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. के बारे में है कि उनके सदक़े में इस दुनिया को पैदा किया उसी तरह हज़रत ज़हरा स.अ. के बारे में भी है कि उनके सदक़े में इस दुनिया को पैदा किया गया है।

इब्ने अब्बास ने पैग़म्बर स.अ. से एक रिवायत नक़्ल की है जिसका मतलब कुछ इस तरह है कि: अल्लाह की तरफ़ से हज़रत आदम को पैदा करने और फ़रिश्तों का आपको सजदा करने के बाद आप अपने ऊपर फ़ख़्र महसूस करने लगे थे और अल्लाह से कहने लगे कि क्या तूने किसी ऐसे को पैदा किया है जिसे मुझ से ज़्यादा महबूब समझता हो? अल्लाह ने जनाब आदम को जवाब दिया कि हां, और फिर अल्लाह के हुक्म से पर्दे हटे और पांच नूर ज़ाहिर हुए जो अल्लाह के पास अर्श पर मौजूद थे।

जब हज़रत आदम से तर्के औला हो गया तो तो उन्होंने इन्हीं पांच हस्तियों के नाम से दुआ मांगी जिसके बारे में इस आयत में कहा गया कि अल्लाह ने तौबा क़बूल की। (अल-ख़साएसुल अलविया, अल ग़दीर, जिल्द 7, पेज 301)