ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल की क्रूर बमबारी के बाद, मध्य पूर्व, विशेषकर सीरिया और इराक में अवैध अमेरिकी सैन्य ठिकानों और इन देशों में आतंकवाद के केंद्रों पर प्रतिरोधी आंदोलनों द्वारा हमलों का सिलसिला तेज हो गया है।
प्रतिरोधी संगठनों ने इराक और क्षेत्र के सबसे बड़े आतंकवादी केंद्र ऐनुल असद में अमेरिका के अड्डे पर ड्रोन हमले शुरू कर दिए, जबकि पूर्वी सीरिया में अमेरिकी आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले भी जारी हैं।
पूर्वी सीरिया के दैरुज़्ज़ोर के उत्तर-पूर्व में कोनेको तेल क्षेत्र में एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर रॉकेट हमला हुआ। इराकी समाचार सूत्रों ने बताया कि मंगलवार की सुबह इराकी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन ने दो रॉकेटों से बेस पर हमला किया। रिपोर्टों के अनुसार, रॉकेट हमले के बाद, अमेरिकी हेलीकॉप्टर अल-उमर तेल क्षेत्र में अमेरिकी बेस के ऊपर उड़ान भरने लगे।
इराक के इस्लामी प्रतिरोध ने कल शाम भी अमेरिकी अड्डे पर रॉकेट हमला किया था। वहीं रविवार रात अल-शदादी और अल-उमर इलाके में अमेरिकी बेस को रॉकेट से निशाना बनाया गया।
वहीं दूसरी ओर अमेरिका की आतंकी कार्रवाई पर इराक पार्लियामेंट के दल भी सवाल उठा रहे हैं। इराकी संसद के अल-फतह गठबंधन के प्रमुख हादी अल-आमिरी ने कहा कि आईएसआईएस के खिलाफ देश की सुरक्षा और सैन्य बलों द्वारा हासिल की गई बड़ी जीत के बाद, यह वास्तव में शर्मनाक है कि कुछ लोग, सुरक्षा बलों की मदद करने के नाम पर, इराक में अमेरिकी गठबंधन सेना को रोकने का औचित्य प्रदान करें।
हादी आमिरी ने कहा कि इन ताकतों के लिए देश छोड़ने का समय आ गया है क्योंकि इराक को उनके अस्तित्व की कोई जरूरत नहीं है और उनके पास अब कोई बहाना भी नहीं है।
अल-फ़तह अलायंस के प्रमुख ने कहा कि ग़ज़्ज़ा के लोगों के ख़िलाफ़ अपराधों में संयुक्त राज्य अमेरिका की ज़ायोनी सरकार को समर्थन के कारण इराक में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है। इस्लामी प्रतिरोध संगठनों का यह कार्य एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।