अफ्रीकी देशों की यात्रा पर गए अहले बैत वर्ल्ड असेम्बली के सेक्रेटरी जनरल आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने कहा कि धर्म के प्रति हमारा दृष्टिकोण व्यापक होना चाहिए। अहले बैत अ.स. हमें ज़ाहिर और बातिन दोनों के लिए दावत देते थे। मासूम इमामों अ.स. के कलाम में इरफ़ान और अध्यात्म के विस्तृत रहस्यमय आयाम और पहलू मौजूद हैं, उदाहरण के लिए, दुआए अरफ़ा इरफ़ान और अध्यात्म से भरी हुई है।
धर्म की व्यापकता का एक पहलु यह है भी कि अहले-बैत अस हमें एकांत और समाज दोनों के लिए आमंत्रित करते है। हमारी जिम्मेदारी के पहलू केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक भी है। हमारी ज़िंदगी में व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों ही पहलू हैं।
उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास इस्लाम की आंतरिक भावना नहीं है, तो उसे इस्लाम की रूह और असल तालीम से कोई लाभ नहीं हुआ है। बेशक, हम मानते हैं कि मासूम इमाम (अ.स.) ज़ाहिरी और बातिनी इमाम है, इसीलिए उन्होंने हमे व्यक्तिगत इबाद्दत के साथ साथ सामूहिक और सामाजिक इबादत की दावत और तालीम भी दी है।