AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
सोमवार

14 अगस्त 2023

7:46:30 am
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यमन पर सऊदी अरब के बर्बर हमलों में अब तक 8,000 बच्चों की मौत

सऊदी गठबंधन द्वारा यमन में बच्चों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नरसंहार अभी भी जारी है, और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के नैतिक विनाश और अन्याय पर केवल खेद व्यक्त किया जा सकता है। क्योंकि ये संगठन अतिक्रमणकारी गठबंधन के काले कारनामों को झूठे आंकड़ों से छिपा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि हम यमनी बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम उठा रहे हैं।

यमन पर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले अतिक्रमणकारी गठबंधन के हमलों में अब तक कम से कम 8,000 बच्चे शहीद हो चुके हैं। यमन के खिलाफ युद्ध की शुरुआत से ही, सऊदी-अमीराती गठबंधन ने यमनी बच्चों के खिलाफ नरसंहार करना जारी रखा है।

यमन की अस सहाफा समाचार साइट ने अपने सूत्रों के हवाले से कहा कि यमन के खिलाफ सऊदी-अमीराती गठबंधन के युद्ध की शुरुआत के बाद से, गठबंधन की सेनाओं के सीधे हमलों में आठ हजार यमनी बच्चों की जान चली गई है।

सऊदी अरब ने, संयुक्त राज्य अमेरिका और साम्राज्यवादी लॉबी के समर्थन से एक अरब गठबंधन के रूप में, यमन के अपदस्थ और भगोड़े राष्ट्रपति को सत्ता वापस दिलाने के नाम पर, 26 मार्च, 2015 को यमन के खिलाफ सैन्य आक्रमण शुरू किया। यमन के सैन्य, आवासीय और सामान्य कल्याण केंद्रों पर हवाई, ज़मीनी और समुद्री नाकाबंदी करते हुए भीषण बमबारी की गयी।

इस सैन्य आक्रमण से सऊदी गठबंधन को अपना कोई लक्ष्य तो हासिल नहीं हुआ, लेकिन अरब का गरीब मुस्लिम देश यमन जरूर तबाह हो गया। हजारों यमनवासी मारे गए और घायल हुए, लाखों लोग विस्थापित हुए, देश का बुनियादी ढांचा बार-बार क्षतिग्रस्त हुआ, गरीबी, भुखमरी और बीमारी फैली, और कैद की कठिनाइया अलग।

यमनी सरकार के मानवाधिकार मंत्री अली अद-दैलमी के अनुसार, सऊदी गठबंधन द्वारा यमन में बच्चों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नरसंहार अभी भी जारी है, और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के नैतिक विनाश और अन्याय पर केवल खेद व्यक्त किया जा सकता है। क्योंकि ये संगठन अतिक्रमणकारी गठबंधन के काले कारनामों को झूठे आंकड़ों से छिपा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि हम यमनी बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम उठा रहे हैं।

सच तो यह है कि यह संगठन यमन के बच्चों के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है। यह संस्थाएं यमनी बच्चों के नरसंहार की कीमत पर हमलावर देशों के साथ समझौते कर रही हैं।

यमनी क्रांति के नेता सैयद अब्दुल मलिक अल-हौसी ने भी कल रात इस बात पर जोर दिया कि यमनी राष्ट्र जिन कई कठिनाइयों का सामना कर रहा है, उसके सामने वह चुप नहीं रह सकते। उन्होंने कहा, ''हम अमेरिकी-ब्रिटिश साजिशों को लागू करने के सऊदी अरब के अभियान पर चुप नहीं रह सकते, ऐसे षडयंत्र जिनका मुख्य उद्देश्य युद्ध, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण के माध्यम से एक राष्ट्र को उसके मूल अधिकारों और राष्ट्रीय पूंजी से वंचित करना है।

सऊदी अरब को यह गलत धारणा भी त्याग देनी चाहिए कि युद्ध के मैदान में हारने के बाद वह प्लान बी या अन्य रणनीति का सहारा लेकर हमारी नाकाबंदी जारी रख सकता है।

उन्होंने कहा कि सऊदी अरब को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह यमन के निर्माण में भाग लेकर या नाकेबंदी खत्म करके अपने अपराधों से पीछा छुड़ा लेगा और यमन के लोग भी अपने नरसंहार और आले सऊद के अपराधों को भूल जाएंगे। हालाँकि, यह स्थिति हमेशा के लिए जारी नहीं रह सकती। सऊदी अरब को भी ये बात समझनी चाहिए। रियाज़ को समझना होगा कि अमेरिका और ब्रिटेन के फरमान को लागू करना जारी रखने से खतरनाक परिणाम होंगे।

उन्होंने सऊदी अरब को यमन के हालात के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि सऊदी अरब यमन युद्ध की इस आग से खुद को सुरक्षित नहीं रख सकता। अल-हौसी ने कहा, "सऊदी अरब को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारा देश नष्ट हो जाएगा और हमारे लोगों को अकाल और भोजन की कमी का सामना करना पड़ेगा और सऊदी अरब इन अपराधों की प्रतिक्रियाओं से सुरक्षित रहेगा।"

सऊदी अरब द्वारा शत्रुतापूर्ण और गलत नीतियों को जारी रखने और हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से रियाज़ में शांति और व्यवस्था कायम नहीं रहेगी।