AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
मंगलवार

25 जुलाई 2023

5:33:26 pm
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नेतनयाहू के इस क़दम से क्या वाक़ई में इस्राईल का अस्तित्व ख़तरे में पड़ गया है?

सोमवार को इस्राईली संसद ने सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को सीमित करने वाले ज़ायोनी शासन के इतिहास के अब तक के सबसे विवादास्पद क़ानून को मंज़ूरी दे दी।

ज़ायोनी प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू की कट्टर दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए विवादास्पद बिल के अनुसार, अदालतों को सरकार और मंत्रियों के फ़ैसलों की तर्कसंगतता  पर किसी भी तरह की रोक या जांच करने से प्रतिबंधित किया गया है।

भ्रष्टाचार के मुक़दमे का सामना कर रहे ज़ायोनी प्रधान मंत्री नेतनयाहू की कैबिनेट ने ज्यूडिशियल ओवरहॉल के नाम पर कई बिल संसद में लाने की योजना तैयार की है। सोमवार को इस प्रक्रिया से संबंधित यह पहला बिल पास हुआ है।

फ़िलिस्तीनियों का मानना है कि ज़ायोनी संसद द्वारा सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित करने वाले बिल की मंज़ूरी से, ज़ायोनी शासन को अपने कट्टर दक्षिणपंथी एजेंडे को पूरा करने में मदद मिलेगी।

इस्राईली नेसेट में फ़िलिस्तीनी सांसद अहमद तीबी का कहना है कि इस क़ानून से सरकार के फ़ैसलों पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी या उन्हें वीटो करने का उसका अधिकार ख़त्म हो जाएगा।

तीबी का कहना था कि इस्राईली सुप्रीम कोर्ट से फ़िलिस्तीनियों को कभी कोई उम्मीद नहीं रही है, क्योंकि उसने कभी निष्पक्षता से कोई फ़ैसला नहीं सुनाया है, बल्कि हमेशा अवैध अधिकृत इलाक़ों में बसने वाले ज़ायोनियों के पक्ष में ही फ़ैसला दिया है, चाहे वह फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार हो या उनकी ज़मीनों और घरों पर क़ब्ज़ा। लेकिन इस विवादास्पद क़ानून से न्यायपालिका पर फासीवादी शासन का पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा। इसका अवैध अधिकृत इलाक़ों में फ़िलिस्तीनियों पर अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

नेतनयाहू सरकार के विरोध में अवैध अधिकृत इलाक़ों में अभूतपूर्व विशाल प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है और प्रदर्शनकारियों को नेतनयाहू के राजनीतिक विरोधियों के साथ ही ज़ायोनी सेना, ख़ुफ़िया एजेंसियों और सिक्युरिटी सर्विसेज़ के पूर्व शीर्ष अधिकारियों, पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और क़ानूनविदों का समर्थन मिल रहा है।

यहां तक कि ज़ायोनी शासन की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली वायु सेना के पायलटों और युद्ध के लिए तैयार रखे जाने वाले रिज़र्व सैनिकों ने सरकारी आदेशों का पालन करने से इंकार कर दिया है, जिसके बाद अवैध शासन की सुरक्षा गंभीर संकट में पड़ गई है।

इसी संदर्भ में हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा है कि इस्राईल की धुर-दक्षिणपंथी सरकार के ज्यूडिशियल ओवरहॉल ने ज़ायोनी शासन को पतन और विघटन की कगार पर ला खड़ा किया है। सोमवार को अपने एक भाषण में हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहाः आज कुछ लोग कह रहे हैं कि यह दिन ज़ायोनी शासन के इतिहास का सबसे बुरा दिन है, क्योंकि इंशाल्लाह इससे ज़ायोनी शासन पतन, बिखराव और विघटन की कगार पर पहुंच गया है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ज़ायोनी शासन का मौजूदा राजनीतिक संकट बहुत गहरा है और यह इस अवैध शासन के 75 साल पुराने अस्तित्व के लिए अब तक की सबसे गंभीर चुनौती है। msm

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