प्रदूषित हवा में फैले ज़हरीले कणों से बचने के लिए अमरीका के पूर्वी तट के इलाक़े में रहने वाले लोगों को घर के भीतर रहने और मास्क पहनने की सलाह जारी कर दी गई। स्कूलों को बंद कर दिया गया और हवाई यातायात भी धीमा पड़ गया। इस प्रदूषण का केन्द्र वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर उत्तर में कनाडा में था।
अमरीका का यह पड़ोसी देश इतिहास की सबसे भयंकर आग की चपेट में था। कनाडा की लाखों एकड़ ज़मीन पर फैले जंगलों में सैंकड़ों जगह आग लगी थी। कनाडा के शहरों के ऊपर ज़हरीली हवा की चादर बिछ गई थी।
लेकिन यहां सवाल यह है कि हम कनाडा के जंगलों में लगने वाली आग और उससे पभावित अमरीका की बात क्यों कर रहे हैं? दर असल, चिंता की बात यह है कि यह समस्या कनाडा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह दुनियाभर को अपनी चपेट में लेने वाली है।
विश्वभर में जंगलों में लगने वाली आग की वारदातें बढ़ती जा रही हैं और अनुमान है कि सदी के अंत तक इस तरह की घटनाओं की संख्या बढ़कर दोगुना हो जाएगी। कई कनाडावासियों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी जंगलों में इतनी जगह आग लगते नहीं देखी है।
कनाडा के एक तिहाई हिस्से पर जंगल फैले हुए हैं। हर साल जंगलों में कई जगह आग लगती है। लेकिन इस साल लगी आग पहले से कहीं ज़्यादा व्यापक और भयानक है।
इंडोनेशिया में 2015 में इसी प्रकार से जंगलों में लगी आग इतनी भीषण और व्यापक हो गई थी कि उसे सदी की सबसे भयंकर आग करार दिया गया था। इसके नतीजे में इंडोनेशिया को आधुनिक युग के सबसे विकट पर्यावरणीय संकट का सामना करना पड़ा।
आग की वजह से चारों तरफ़ फैले धुएं से एक लाख से ज्यादा इंडोनेशियाई लोगों की मौत हो गई। यह प्रदूषण सिंगापुर और मलेशिया में भी पहुंच गया था, जिसकी वजह से वहां भी हज़ारों लोगों की मौत हुई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मानवीय स्वास्थ्य के लिए बहुत ख़राब है। जंगल की आग से निकलने वाला धुआं सैंकड़ों किलोमीटर दूर तक पहुंच सकता है और वहां रहने वाले लोगों पर बुरा असर डाल सकता है।
इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। जंगल की आग से पेड़ पौधों और ज़मीन में मौजूद कार्बन का उत्सर्जन भी होता है और वह हवा में घुल जाता है, जिससे सूखा पड़ सकता है, गर्मी बढ़ती है, जो जलवायु को प्रभावित करती है।
इन चीज़ों को नियंत्रण में लाने की ज़रूरत है। जंगल की आग एक प्राकृतिक बात है, और कुछ हद तक हमारे इको सिस्टम के लिए ज़रूरी भी है। लेकिन इसे बेहतर तरीक़े से मैनेज करना ज़रूरी है।