AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
गुरुवार

20 जुलाई 2023

4:43:37 pm
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मोहर्रम, ज़ालिमों और मज़लूमों के बीच लकीर, मानवता की रक्षा का मूल मंत्र हुसैन हैं

ईरान समेत बहुत से देशों में जहां बुधवार को मोहर्रम की पहली तारीख़ थी वहीं इराक़, भारत, पाकिस्तान और कई अन्य देशों में गुरुवार को मोहर्रम की पहली तारीख़ है। इस समय दुनिया के कोने-कोने में बड़ी श्रद्धा के साथ पैग़म्बरे इस्लाम (स) के नाती हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों के महान बलिदान की याद में शोक सभाओं का आयोजन किया जा रहा है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान में मोहर्रम के आरंभ होते ही पूरी तरह शोक में डूबा हुआ है। जिस तरफ नज़रें उठाकर देखें हर तरफ़ काले झंडे और पट्टियां लगी हुई हैं। ईरान के पवित्र नगर मशहद और क़ुम समेत, राजधानी तेहरान और सभी बड़े-छोटे शहरों, गांवों और क़स्बों में मजलिसों और मातम का सिलसिला जारी है। लोग नम आंखों से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। पवित्र नगर मश्हद में इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम, क़ुम में हज़रत मासूमा, शीराज़ में शाहचेराग़, तेहरान में इमामज़ादे सालेह और रय शहर में हज़रत अब्दुल अज़ीम हसनी के रौज़ों में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हर ओर से मजलिस और मातम की आवाज़ें गूंज रही हैं। साथ ही इन पवित्र रौज़ों के गुंबदों पर से काले परचम लहरा रहे हैं और यह एलान कर रहे हैं कि इंसानियत के लिए अपना, अपने परिवार और अपने साथियों का बलिदान देने वाला आज भी ज़िन्दा है।

इसी तरह इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में कई लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं और इमाम हुसैन के रौज़े के निकट उनका शोक मना रहे हैं। कर्बला के अतिरिक्त काज़ेमैन, नजफ़ और सामर्रा जैसे पवित्र शहरों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मना रहे हैं। शोक सभाओं में वक्ता इमाम हुसैन और उनके आंदोलन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं। इससे पहले मोहर्रम की चाँद रात को इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में रौज़े के गुंबद पर काला परचम लगाया गया। साथ ही इमाम हुसैन की ज़रीह पर भी काली चादर चढ़ा दी गई। वहीं भारत और पाकिस्तान में भी मोहर्रम का चांद नज़र आते ही इमाम हुसैन (अ) के चाहने वालों के घरों में ग़म का फ़र्श बिछ जाता है। शहरों, गावों के इमामबाड़ों से या हुसैन की आवाज़ें अभी से ही साफ़ सुनाई दे रही हैं। भारत के सभी छोटे बड़े शहरों में मजलिस और मातम का सिलसिला पूरी श्रद्धा के साथ शुरू हो गया है।

उल्लेखनीय है कि मोहर्रम शुरु होते ही दुनिया भर में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के श्रद्धालु मस्जिदों, इमामबाड़ों, पवित्र स्थलों और अपने घरों पर काले झंडे लगा कर शहीदों के सरदार इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। कर्बला की त्रासदीपूर्ण घटना और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम तथा उनके वफ़ादार साथियों की शहादत को शताब्दियां बीतने के बाद भी न सिर्फ़ यह कि इस घटना का महत्व कम नहीं हुआ बल्कि दिन प्रतिदिन कर्बला का संदेश पूरी दुनिया में व्यापक स्तर पर फैलता जा रहा है और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की याद में शोक समारोह भी व्यापक स्तर पर आयोजित हो रहे हैं। मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का वह पहला महीना है जब हज़रत इमाम हुसैन (अ) ने अपने 72 साथियों के साथ इराक़ में स्थित कर्बला के मैदान में सच और झूठ, ज्ञान और अज्ञानता, हक़ और बातिल के बीच अंतर करने के लिए महान बलिदान दिया। इसलिए इस इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने को इमाम हुसैन (अ) की शहादत से ही पहचाना जाने लगा। हज़रत इमाम हुसैन (अ) की शहादत का उद्देश्य इतना बुलंद है कि आसानी से कोई उसे समझ नहीं सकता। कर्बला वालों के महान बलिदान और शहादत ने दुनिया वालों के सामने ज़ालिम और मज़लूम के बीच हमेशा के लिए लकीर खींच दी है।

पार्स टुडे हिन्दी की पूरी टीम इस दुखद और ग़म के अवसर पर अपने सभी श्रोताओं, पाठकों और इमाम हुसैन (अ) के श्रद्धालुओं की सेवा में संवेदना और शोक व्यक्त करती है। 

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