AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
मंगलवार

18 जुलाई 2023

4:34:39 pm
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तुर्क राष्ट्रपति क्यों गए सऊदी अरब?

तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान एक उच्च स्तरीय राजनैतिक व आर्थिक शिष्ट मंडल के साथ सऊदी अरब गए।

अर्दोग़ान राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद फ़ार्स खाड़ी के देशों की तीन दिवसीय यात्रा पर निकले हैं। यात्रा में 200 तुर्क व्यापारी और उद्यमी अर्दोग़ान के साथ हैं। सऊदी अरब के बाद तुर्क राष्ट्रपति के कार्यक्रम में क़तर और इमारात का दौरा भी शामिल है।

अर्दोग़ान इस समय कोशिश कर रहे हैं कि विदेशी निवेश आकर्षिक करके देश को गंभीर रूप धारण कर रहे आर्थिक संकट से उबारें। तुर्किए का मीडिया और अधिकारी कह रहे हैं कि इस दौरे का मक़सद 50 अरब डालर का निवेश तत्काल देश के भीतर लाना है। इस सफ़र पर रवाना होने से पहले रजब तैयब अर्दोग़ान ने कहा था कि इन देशों के साथ संबंधों के विस्तार का संजीदा इरादा है और तीनों देशों से निवेश के समझौते करना हैं।

तुर्किए के प्रतिनिधिमंडल की सऊदी अरब यात्रा एसे हालात में हुई है कि पूरे तुर्की में आर्थिक संकट के हालात हैं। सरकार ने बड़ी कोशिश की कि डालर के मुक़ाबले में गिरती लीरे की क़ीमत को किसी तरह रोके मगर सफल नहीं हो पायी। इस समय 1 अमरीकी डालर 27 लीरे का हो गया है। तुर्किए की सरकार चाहती थी कि अमरीकी डालर की क़ीमत 20 लीरे पर रुकी रहे। फ़ार्स खाड़ी के देशों के साथ तुर्किए के संबंधों में बड़ा उतार चढ़ाव आता रहा है। ख़ास तौर पर सऊदी अरब के साथ तो यह उतार चढ़ाव बहुत स्पष्ट नज़र आया। इस्तांबूल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशुकजी की हत्या के बाद तो दोनों देशों के संबंधों में बहुत तनाव पैदा हो गया था और इसका गहरा असर दोनों देशों के आपसी व्यापार पर पड़ा।

तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान पहले तो इस बात पर अड़ गए कि इस हत्या में लिप्त लोगों पर तुर्की के भीतर मुक़द्दमा चलाया जाएगा और उन्हें सज़ा दी जाएगी लेकिन चार साल बीत जाने के बाद तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान को सऊदी अरब के सामने झुकाना पड़ा। उन्होंने सऊदी अरब से व्यापार बढ़ाने के लिए ख़ाशुक़जी की हत्या का चैप्टर ही बंद कर दिया। इसके बाद पिछले साल अप्रैल में अर्दोग़ान ने सऊदी अरब का दौरा किया और सऊदी अधिकारियों से मुलाक़ात की। मीडिया और राजनैतिक गलियारे कहते हैं कि तुर्किए को आर्थिक संकट से निकलने के लिए फ़ार्स खाड़ी के अरब देशों की भारी ज़रूरत है।

कुछ तथ्यों का जायज़ा लेने से पता चलता है कि सऊदी अरब और इमारात बल्कि क़तर भी चाहते हैं कि तुर्किए अपनी मदद बढ़ाए। उनकी इच्छा है कि तुर्किए की आर्थिक सहायता करें मगर इसके बदले में उससे भारी सामरिक सहायता वसूल कर लें। मगर यह भी साफ़ है कि फ़ार्स खाड़ी के अरब देशों के साथ तुर्किए के संबंधों में अविश्वास पाया जाता है। जनवरी महीने की बात है कि मीडिया में ख़बर आई कि सऊदी प्रशासन ने एक सऊदी स्कालर को अर्दोग़ान की तारीफ़ करने की वजह से देश से ही निकाल दिया।

सऊदी अरब ने तुर्किए की बायकार कंपनी के साथ एक समझौता किया है जो ड्रोन विमान बनाती है। अब तुर्किए के राष्ट्रपति की इस यात्रा से लगता है कि सऊदी अरब अपनी मांग मनवा ले जाएगा।,

लेकिन कुल मिलाकर लगता है कि तुर्किए जिन हितों को साधने की कोशिश में है अरब देश उससे कहीं अधिक हित साधने की तैयारी कर चुके हैं।