AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
शुक्रवार

14 जुलाई 2023

10:26:52 am
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क़ुरआन की बेअदबी करवाने की साज़िश में इस्राईली ख़ुफ़िया एजेंसी का हाथ, मक़सद ईसाइयों और मुसलमानों को लड़ाना हैः सैयद हसन नसरुल्लाह का जायज़ा

लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने 2006 में होने वाले 33 दिवसीय युद्ध में इस्राईली सेना को हराकर हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली विजय की वर्षगांठ पर बड़ा महत्वपूर्ण भाषण दिया जिसमें कई मुद्दों पर स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखा।

एक महत्वपूर्ण विषय क़ुरआन की बेअदबी किए जाने का मसला था जिस पर कई दिनों से इस्लामी दुनिया में भारी आपत्ति जताई जा रही है और संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार परिषद की बैठक भी इस मुद्दे पर हुई। सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस विषय पर बात करते हुए इस कुकर्म में इस्राईली ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद को संलिप्त क़रार दिया।

इससे पहले भी यह अनुमान लगाया जा रहा था कि ज़ायोनी शासन मुसलमानों और ईसाइयों के बीच फूट डालकर जनमत का ध्यान उलझाना चाहता है ताकि इस बीच फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में यहूदी बस्तियों के निर्माण के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाए। जेनिन पर जब इस्राईली सेना ने हमला कर दिया तो इस अनुमान को और भी बल मिला और साफ़ हो गया कि सैयद हसन नसरुल्लाह ने क़ुरआन की बेअदबी किए जाने की घटना के लिए मोसाद को दोषी ठहराने में ठोस साक्ष्यों को आधार बनाया है।

जब यह हक़ीक़त सामने आ गई है तो ईसाई आबादी और पश्चिमी देशों की ज़िम्मेदारी है कि वो भी मुसलमानो की तरह ज़ायोनियों की इस साज़िश की निंदा करें और ज़ायोनियों को यह मौक़ा न दें कि वो अपने स्वार्थों और अमानवीय उद्देश्यों के लिए ईसाइयों का इस्तेमाल करे।

सैयद हसन नसरुल्लाह के भाषण में एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह था कि उन्होंने साफ़ साफ़ कह दिया कि लेबनान के ग़जर और शबआ नाम के इलाक़े अब भी इस्राईल के ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़े में हैं। इस बयान से यह संदेश गया कि कोई और युद्ध हो सकता है क्योंकि एक तो लेबनान की धरती का कुछ भाग इस्राईल के क़ब्ज़े में है और दूसरी बात यह कि इस्राईल लगातार भड़काऊ गतिविधियां कर रहा है। यानी इस बात की संभावना बनी हुई है कि कभी भी नई जंग शुरू हो जाए।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ज़ायोनियों ने लेबनानी इलाक़ों को पहले कंटीले तारों से घेरा फिर वहां दीवार बना ली और इसके बाद उन इलाक़ों में अपने पर्यटकों के ले जाने लगे हैं। अलग़जर लेबनान का हिस्सा है जिस पर इस्राईल ने क़ब्ज़ा करके अपना क़ानून लागू कर रखा है। जो कुछ ग़जर में हो रहा है उस पर ख़ामोश नहीं रहा जा सकता। वो लेबनान की ज़मीन है और बिना किसी शर्त उसे लेबनान के हवाले किया जाना चाहिए।

सैयद हसन नसरुल्लाह के भाषण का तीसरा बिंदु जेनिन की हालिया घटनाएं थीं जहां ज़ायोनी सेना ने तीन हज़ार सैनिकों के साथ ज़मीन और हवा से हमले किए मगर दो दिन से भी कम समय में उसे वहां से अपना मिशन अधूरा छोड़कर निकलना पड़ा। ज़ायोनी सेना ने आप्रेशन में जेनिन में काफ़ी विध्वंसकारी कार्यवाहियां कीं जो अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के अनुसार युद्ध अपराध है लेकिन वह अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पायी।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बारे में कहा कि ज़ायोनी सेना जेनिन आप्रेशन करके अपनी ताक़त का दिखावा करना और अपना डिटरेंस बढ़ाना चाहती थी मगर जेनिन के बहादुरों के प्रतिरोध की वजह से इस्राईल का मंसूबा नाकाम हुआ। फ़िलिस्तीनियों की विजय का चिन्ह यह है कि ज़ायोनी सेना के आप्रेशन के दौरान उनका प्रतिरोध जारी रहा।

इस आधार पर कहा जा सकता है कि अगर ज़ायोनी सेना ने जेनिन में अपना आप्रेशन बंद न किया होता और झड़पें इस समय तक जारी रहतीं जब 33 दिवसीय युद्ध की वर्षगांठ नज़दीक आ गई है तो इस बात की संभावना थी कि हिज़्बुल्लाह के जियाले भी मैदान में उतर जाते और प्रतिरोध के मोर्चों की एकछत्र कार्यवाही शुरू हो जाती जो इस्राईल के लिए डरावना सपना बन चुकी है।

इसक मतलब यह है कि अगर ज़ायोनी शासन ने जेनिन में फिर हिमाक़त भरे क़दम उठाए तो उसे एक और 33 दिवसीय युद्ध का सामना करना पड़ सकता है जिसमें उसे खुली हुई शिकस्त मिली थी।