AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
गुरुवार

13 जुलाई 2023

10:23:04 am
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मुबाहेला इस्लाम की सदाक़त की बड़ी दलील

मुबाहेला एक क़ुरानी इस्तेलाह है जिसका मतलब है, दो लोगों या गिरोह का खुद को सही साबित करने के लिए एक दूसरे के खिलाफ अल्लाह की बारगाह में बददुआ करना। मुबाहेला का अर्थ है एक दूसरे पर लानत करना। दो इंसान या दो समूह जो खुद को सही और हक़ पर मानते हैं, वह अल्लाह की बारगाह में गुहार लगाते हैं कि अल्लाह झूठे पर लानत करे ताकि हर किसी को यह मालूम हो जाए कि कौन सही और हक़ पर है।


इस्लाम ने कभी भी लोगों को आंख बंद करके तथा बिना सोचे समझे धार्मिक आस्थाओं एवं इस्लामी या किसी भी उसूल को क़ुबूल करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने हमेशा लोगों को इस बात की ताकीद की है कि वह सिराते मुस्तक़ीम और अपनी आख़िरत संवारने के लिए अक़्ल, शऊर और फ़हम से काम लें। अक़्ले इंसानी उसे सिराते मुस्तक़ीम और अपनी मंज़िल तक पहुँचाने के लिए सबसे बेहतरीन मददगार है।

पैग़म्बरे इस्लाम ने इस्लाम के पैग़ाम को आम करने के लिए दुनिया भर के लोगों, शासकों, राजनेताओं और धर्मगुरुओं को दावत दी और उन्हें खत लिखे, रसूले इस्लाम ने ऐसे ही एक खत अरब के दक्षिण में स्थित नजरान इलाक़े के ईसाइयों को लिखा था और ईसाइयों को तीन ईश्वर की आस्था छोड़ कर अल्लाह की वहदानियत की दावत दी। ईसाई उलमा अपनी किताबों में आखिरी नबी की निशानियों के बारे में पढ़ चुके थे, उन्होंने अपने कुछ खास लोगों को छान-बीन के लिए पैग़म्बरे इस्लाम के पास भेजा। जिन्होंने पैग़ंबरे इस्लाम से दो अहा सवाल किये।

पहला यह कि आप किस चीज़ की दावत दे रहे हैं ? दूसरा यह कि जनाबे ईसा अ.स. के बारे में आपका क्या ख्याल है?

पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. ने ईसाइयों के पहले सवाल के जवाब में उन्हें अल्लाह की वहदानियत की दावत दी और दूसरे सवाल के जवाब में कहा कि हज़रत ईसा मसीह भी अल्लाह के बंदे और एक इंसान थे और उन्हें माबूद या अल्लाह का बेटा समझना गलत है ।

इस पर नजरान के ईसाइयों ने कहा कि अगर हज़रत ईसा अ.स. अल्लाह की मख्लूक़ और उसके बंदे हैं तो फिर उनका बाप कौन है? हर इंसान का बाप होना ही चाहिए। पैग़म्बर ने इसके जवाब में सूरए आले इमरान की 59वीं आयत की तिलतावत कीः إِنَّ مَثَلَ عِيسَىٰ عِندَ اللَّهِ كَمَثَلِ آدَمَ ۖ خَلَقَهُ مِن تُرَابٍ ثُمَّ قَالَ لَهُ كُن فَيَكُونُ

ईसा अ.स. की मिसाल अल्लाह के नज़दीक आदम अ.स. जैसी है कि उन्हें मिट्टी से पैदा किया और फिर कहा हो जा और वह हो गया।

रसूले इस्लाम ने इरशाद फ़रमाया कि ईसा अ.स. की ख़िलक़त आदम अ.स.  की तरह ही है जिन्हे अल्लाह ने अपनी बेपनाह क़ुदरत से माँ बाप के बिना ख़ल्क़ किया। अगर किसी का बिना बाप के पैदा होना ईश्वर होने का सबब बनता है तो इस मामले में जनाबे आदम अ.स.  हज़रत ईसा अ.स.  से कहीं ज़्यादा अफ़ज़ल हैं क्योंकि वह बाप ही नहीं बल्कि अपनी ख़िलक़त में माँ के भी मोहताज नहीं थे।

पैग़ंबरे इस्लाम स.अ. की बेपनाह दलीलों , मोहब्बत और प्यार भरी तर्क संगत गुफ्तगू के बाद भी नजरान के ईसाई आपकी बात से सहमत नहीं हुए और बात मुबाहेला पर आकर रुकी।

मुबाहेला एक क़ुरानी इस्तेलाह है जिसका मतलब है, दो लोगों या गिरोह का खुद को सही साबित करने के लिए एक दूसरे के खिलाफ अल्लाह की बारगाह में बददुआ करना। मुबाहेला का अर्थ है एक दूसरे पर लानत करना। दो इंसान या दो समूह जो खुद को सही और हक़ पर मानते हैं, वह अल्लाह की बारगाह में गुहार लगाते हैं कि अल्लाह झूठे पर लानत करे ताकि हर किसी को यह मालूम हो जाए कि कौन सही और हक़ पर है।

इस्लामी हिजरी वर्ष के बारहवें महीने ज़िल्हज्जा की 24 तारीख़ को पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम तथा नजरान के ईसाइयों के बीच मुबाहेला हुआ । इसी दिन इस्लाम अपनी पूरी सच्चाई के साथ कुफ़्र एवं शिर्क के मुक़ाबले डट गया और पैग़म्बरे इस्लाम तथा उनके पाक अहले बैत अ.स. ने इस्लाम का बोल बाला किया।

इस मंज़र को क़ुरआने मजीद के सूरह आले इमरान की आयत 61 में इस तरह बयान किया गया है।

فَمَنْ حَآجَّكَ فِيهِ مِن بَعْدِ مَا جَاءكَ مِنَ الْعِلْمِ فَقُلْ تَعَالَوْاْ نَدْعُ أَبْنَاءنَا وَأَبْنَاءكُمْ وَنِسَاءنَا وَنِسَاءكُمْ وَأَنفُسَنَا وأَنفُسَكُمْ ثُمَّ نَبْتَهِلْ فَنَجْعَل لَّعْنَةُ اللّهِ عَلَى الْكَاذِبِينَ

अब आपको इल्म और वही पहुँचने के बाद, जो भी इस ( जनाबे ईसा) बारे में आप से कट हुज्जती और हठधर्मी करे तो कह दीजिये आओ हम अपने बेटों को लाएं तुम अपने बेटों को लाओ हम अपनी औरतों और तुम अपनी औरतों, हम अपने मर्दों को और तुम अपने मर्दों को लाओ और फिर इल्तेजा करें और झूटों पर अल्लाह की लानत क़रार दें।

जब पैग़म्बर मुबाहेला के मैदान में आए तो नजरान के ईसाई पैग़ंबरे इस्लाम और उनके साथ आए इमाम अली अ.स. , हज़रात फातिमा स.अ., इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. को देख कर आपकी सच्चाई को समझ गए और मुबाहेला करने से बाज़ आए। उन्होंने बिना किसी बहस के आपकी सच्चाई को मानते हुए सुलह की इच्छा जताई और आपकी सच्चाई को तस्लीम किया।