एक बुज़ुर्ग स्कालर ने बताया कि इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड पाकिसतान ईरान और तुर्की सहित अनेक देशों से बुद्धिजीवियों ने वर्चुअल और फ़िज़िकल रूप से इस सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन में दर्जनों वक्ताओं ने भाषण दिया और कई शोध पत्र पढ़े गए जिनमें इस बात का जायज़ा लिया गया कि फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीनियों को ज़ायोनी शासन के अत्याचार से किस तरह बचाया जा सकता है और किस तरह फ़िलिस्तीनियों को उनकी धरती पर वापस ले जाया जा सकता है। इस सम्मेलन के स्पेशल गेस्ट मस्जिदुल अक़सा के इमामे जुमा था उन्होंने मुसलमानों की एकता व एकजुटता पर ज़ोर दिया।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों की एकता फ़िलिस्तीन की आज़ादी का रास्ता है। अगर दुनिया के मुसलमान एकुट हो जाएं तो इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।...बुज़ुर्ग मुस्लिम स्कालर का कहना था कि हम यह उम्मीद करते हैं कि दुनिया भर के मुसलमान इस सम्मेलन का हिस्सा बनेगे ताकि हम अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और न्याय के आधार पर हम फ़िलिस्तीनी इलाक़ों से इस्राईल को बाहर निकाल सकें। एक मज़बूत फ़िलिस्तीनी सरकार के गठन पर भी ज़ोर दिया गया।
एक संयुक्त डिप्लोमेसी के ज़रिए और हर प्रकार की नारेबाज़ी से दूर रहते हुए एक आज़ाद और स्वाधीन सरकार के गठन की भूमि समतल की जा सकती है जो इस इलाक़े में रहने वाले मुसलमानों और गैर मुस्लिमों के मामलों का संचालन करे। बैतुल मुक़द्दस को आज़ाद कराने की कोशिशें और यह लक्ष्य मुसलमानों के बीच एकता व समरसता के माहौल में हासिल हो सकेगा। इस सम्मेलन में ज़ोर दिया गया कि मज़बूत डिपलोमेसी के ज़रिए फ़िलिस्तीन देश की रचना की भूमि समतल की जानी चाहिए।
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