AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
शनिवार

25 मार्च 2023

9:28:47 am
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रमज़ान के अवसर पर आयतुल्लाह खामनेई ने दिया क़ारियाने क़ुरआन और मुसलमानों को पैग़ाम।

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने ईरान में अच्छी, सही और बेहतरीन अंदाज़ में तिलावत और कराते क़ुरआन करने वाले मुमताज़ क़ारियों की मौजूदगी पर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए कहा कि देश में क़ुरान इंडेक्स में होने वाली तरक़्क़ी किसी भी दूसरे इंडेक्स में आई तेज़ी से कहीं ज़्यादा है और यह बहुत इत्मीनान और ख़ुशी की बात है।

माहे मुबारक रमज़ान की आमद के साथ ही पहली रमज़ान को महफिले उन्स बा क़ुरआन के नाम से हुए प्रोग्राम में ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह खामनेई ने क़ारियाने क़ुरआन, क़ुरआने मजीद की तालीम और तफ़्सीर के मशहूर उस्ताद, प्रोफेसर्स के साथ मुलाक़ात की। 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि क़ुरआने मजीद की तिलावत उसके टॉपिक्स और तर्जुमे को समझ कर किये जाने की ज़रूरत है। हमारे क़ुरानी जलसों में इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाए ताकि सूत्रों वालों पर क़ुरआने मजीद की बातों और तालीमात का असर हो सके। उन्होंने इस फील्ड में काम करने वालों और करियाने क़ुरआन को इस सिलसिले में ख़ास ताकीद करते हुए काम और कोशिश करने की दावत दी। 

 उन्होंने ईरान में अच्छी, सही और बेहतरीन अंदाज़ में तिलावत और कराते क़ुरआन करने वाले मुमताज़ क़ारियों की मौजूदगी पर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए कहा कि देश में क़ुरान इंडेक्स में होने वाली तरक़्क़ी किसी भी दूसरे इंडेक्स में आई तेज़ी से कहीं ज़्यादा है और यह बहुत इत्मीनान और ख़ुशी की बात है। 

हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि क़ारियाने क़ुरआन अल्लाह के पैग़ाम को लोगों के दिलों तक पहुँचाने के सबब एक अहम्, नुमाया और बावक़ार मक़ाम रखते हैं उनके ज़िम्मे एक अहम मिशन है। क़ुरआने मजीद की तिलावत को सुनना और उस पर ग़ौर करना ज़रूरी और खुदा पर ईमान का लाज़िमा और उसकी रहमत हासिल करने और क़ुरआने मजीद में ग़ौरो फ़िक्र करने का सबब बनता है इस लिए क़ुरआन को दिक़्क़त से सुनना और उस पर ग़ौर करना ज़रूरी है। 

वलिये फ़क़ीह हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनई ने आम लोगों को ख़िताब करते हुए कहा कि आप इस तरह रूटीन बनाएं कि हर दिन कुछ नहीं तो काम से एक पेज की ही तिलावत कर सकें। 

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि आम जनता और क़ुरआन को सुनने वाले लोग क़ुरआने मजीद की ज़बान नहीं समझते इस लिए वह उसके मफ़हूम और मतलब से आशना नहीं हैं, आम लोग क़ुरआनी मफ़ाहीम से बेखबर हैं। 

माहेरीन और क़ुरआन के सिलसिले में काम करने वाले लोगों को इस बारे में सोचना चाहिये ताकि क़ुरआने मजीद की अज़ीम तालीमात आम लोगों और सुनने वालों तक पहुँच सके। 

तमाम मस्जिदों को क़ुरआने मजीद की तिलावत और उसकी तफ़्सीर को आम करने के मक़बूल और लोकप्रिय सेंटर्स की शक्ल में आम हो जाना चाहिए। 

रहबरे इंक़ेलाब ने क़ुरआने मजीद को हिकमतों वाली किताब और दस्तूरे हयात बताते हुए कहा कि क़ुरआने मजीद में निजी, ख़ानदानी, समाजी, सरकारी और यहाँ तक की इंटरनेशनल रिलेशंस समेत हर फील्ड के लिए तालीम, सीख और दानाई की बातें मौजूद हैं। हम इस किताब की मदद से उन्हें सीख सकते हैं और खुदा का शुक्र आज हमारे देश में इस काम के लिए ज़रूरी सभी बुनियादी सहूलतें मौजूद हैं। 

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने मुअस्सिर और मुतास्सिर करने वाली तिलावत पर ज़ोर देते हुए क़ारियाने क़ुरआन को ख़िताब करते हुए कहा कि कुछ तिलावतों का मक़सद सिर्फ अच्छी आवाज़ और तर्ज़ में आयात की तिलावत होती है ताकि सुनने वालों को मुतास्सिर कर सकें। यह काम सही नहीं, न ही यह पसंदीदा है। अल्लाह की महबूब और पसंदीदा तिलावत वो है जो लोगों पर असर अंदाज़ हो और क़ारी का मक़सद भी यही हो कि क़ुरआन सुनने वाले की ज़ात पर क़ुरआने मजीद का असर हो। इसके लिए ज़रूरी है कि खुद क़ारी के वुजूद पर क़ुरआनी तालीमात का असर हो। 

आयतुल्लाह ख़ामेनई ने क़ारियाने क़ुरआन को ख़िताब करते हुए कहा कि आप जिस लहन और अंदाज़ में भी तिलावत कर रहे हैं उसका मक़सद यही होना चाहिए कि सुनने वाले पर क़ुरआनी आयात का असर हो। इस प्रोग्राम के आखिर में रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनई की इक़्तेदा में नमाज़े मग़रिबैन अदा की गई।