AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
गुरुवार

2 मार्च 2023

11:44:31 am
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यमन का विभाजन तय, अमेरिका ने सऊदी अरब की राह में कांटे बिछाए।

यमन युद्ध की दलदल में फंसा सऊदी अरब जहाँ इस जंग से खुद को निकालने के लिए कोशिशें कर रहा है वहीँ अमेरिका नहीं चाहता कि सऊदी अरब इस देश से निकले या यहाँ के अलग अलग गुटों को एकजुट करते हुए एक झंडे के नीचे ले आए।

यमन युद्ध की दलदल में फंसा सऊदी अरब जहाँ इस जंग से खुद को निकालने के लिए कोशिशें कर रहा है वहीँ अमेरिका नहीं चाहता कि सऊदी अरब इस देश से निकले या यहाँ के अलग अलग गुटों को एकजुट करते हुए एक झंडे के नीचे ले आए।

दक्षिण यमन के प्रभावशाली नेता और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख सुफियान अम्मारी ने कहा यमन में संघर्ष तेज़ हो गया है क्योंकि यमन और इस इलाक़े के लिए जो साज़िशों का जाल बना गया है उसे लागू कर दिया गया है।

अमेरिका राजनैतिक और फौजी रूप से यमन में मोर्चा संभाल चूका है ताकि यहां के हालात को अपने हितों के अनुसार ढाल सके।

वाशिंगटन को अहसास हो चला है कि सऊदी अरब यमन से निकलने के लिए गंभीर है लिहाज़ा उसने अपने तुरूप के पत्ते फेंकना शुरू कर दिया है ताकि सऊदी अरब को यमन में रोके रहे।  यमन रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भौगोलिक रूप से दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।

सऊदी अरब ने जब जब यमन से निकलने की कोशिश की UAE के इशारों पर काम करने वाले गुटों के बीच खुनी संघर्ष छिड़ गया और यह सब अमेरिका के इशारों पर हो रहा है। सऊदी ने इन गुटों को एक करने की कोशिश भी की लेकिन वह नाकाम रहा। अमेरिका सऊदी अरब को कभी भी इस बात की इजाज़त नहीं देगा कि सऊदी अरब यमन के अलग अलग गुटों को एकजुट कर सके क्योंकि अमेरिका यमन में पूरी ताक़त के साथ डेरा डाले हुए है वह यमन को दो हिस्सों में बाँटना चाहता है।  एक उत्तरी यमन, दूसरा दक्षिणी यमन।

अमेरिका अब दक्षिणी यमन का प्रतिनिधित्व करने वाली सॉउथर्न ट्रांज़िट कौंसिल को निशाना बना रहा है ताकि यहाँ हालात खराब किये जा सके और कौंसिल को मैदान से हटा कर यहाँ अलग अलग गुटों को खड़ा किया जा सके और इस पूरे इलाक़े को अपने कंट्रोल में लिया जा सके।

सऊदी और अमीरता के बारे में बात करते हुए अम्मरी ने कहा कि इन दोनों देशों में होड़ लगी है कि कौन अमेरिका का अच्छा और वफादार खादिम बन सकता है और इलाक़े में उसके हितों के लिए काम कर सकता है क्योंकि यमन संकट का असली बाज़ीगर तो अमेरिका ही है।

अमेरिका यमन संकट का समाधान नहीं चाहता वह चाहता है की अगर कोई समझौता होता भी है तो ऐसा हो जो उन्हें यमन में अपनी मनमर्ज़ी और अमेरिकी सेना को बनाए रखने और मुकल्ला, हज़रामूत और यमन के दूर हिस्सों में अपने सैन्य ठिकाने बनाने की छूट देता हो।