यमन युद्ध को लगभग 8 साल हो रहे हैं और साम्राज्यवादी शक्तियों की ओर
से अरब जगत के इस मज़लूम और ग़रीब देश के खिलाफ सऊदी अरब ने ज़ुल्मो अत्याचार के सभी रिकॉर्ड
तोड़ दिए हैं।
आले सऊद के बर्बर हमलों के कारण यमन सदी के सबसे बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है। यमन युद्ध को ख़त्म करने के लिए जहाँ एक ओर ओमान कोशिश करता रहा है वहीं आठ साल तक लगातार मुंह की खाने के बाद सऊदी अरब भी अब इस दलदल से निकलने के लिए हाथ पैर मार रहा है।
यमन और सऊदी गठबंधन के बीच संघर्ष विराम को लेकर हुए समझौते और ओमान की कोशिशों पर अमेरिका पानी फेर रहा है। वह नहीं चाहता कि यमन जंग खत्म हो जाए।
रायुल यौम की रिपोर्ट के मुताबिक़ यमन के लोकप्रिय जनांदोलन अंसारुल्लाह के जनरल सेक्रेटरी सय्यद अब्दुल मलिक अल हौसी ने कहा कि अमेरिका ओमान की कोशिशों पर पानी फेर रहा है। वह समझौते के के खिलाफ जाते हुए यमन जंग को दाख़िली मुद्दा बनाने पर तुला हुआ है और अतिक्रमणकारी गठबंधन को पक्ष नहीं मानता। अमेरिका गठबंधन के साथ हुए समझोते के खिलाफ जाते हुए सऊदी गठबंधन की ओर से लूटी जा रही यमनी धन संपदा से यमनी कर्मचारियों को सैलरी देने की शर्त को भी नहीं मान रहा और सऊदी गठबंधन को इसे तोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है जिसे आले सऊद ने पहले मान लिया था।
सय्यद अब्दुल मलिक ने यमन से विदेशी सेनाओं के निकलने को राजनैतिक वार्ता के लिए अंसारुल्लाह की अहम् शर्त बताते हुए कहा कि अमेरिका इस मामले में भी बहानेबाज़ी कर रहा है वह कोशिश कर रहा है कि इस मामले, और यमन संकट को जितना मुमकिन हो लंबा खींच सके। हम साफ़ कर देना चाहते हैं कि हम अपने देश के खिलाफ किसी भी अतिक्रमणकारी सेना को बर्दाश्त नहीं करेंगे और यह एक अहम् बुनियादी मुद्दा है।