शाहबाज़ शरीफ़ ने इस बात को स्वीकार किया कि बतौर प्रधानमंत्री हर विदेशी दौरे पर जाकर मदद के लिए हाथ फैलाना एक ऐसे देश के लिए शर्मिंदगी की बात है, जो परमाणु शक्ति संपन्न है।
उन्होंने कहा कि नक़दी के संकट से जूझ रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह स्थायी समाधान नहीं है।
लाहौर में पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनरी अफ़सरों के पासिंग आउट सेरेमनी के दौरान शहबाज़ शरीफ़ ने इस बात पर अफ़सोस जताया कि देश के 75 साल के इतिहास में पिछली सरकारें आर्थिक समस्या का समाधान नहीं खोज सकीं। उन्होंने पिछली सभी सरकारों को निशाने पर लिया चाहे वह राजनीतिक सरकारें रही हों या फ़ौजी तानाशाही सरकारें।
शरीफ ने यह बात फ़ौज के एक प्रोग्राम में कही जो पाकिस्तान के कुल बजट की सबसे बड़ी हिस्सेदार होती है।
शरीफ़ के मुताबिक़, पाकिस्तान एटमी ताक़त रखने वाला एक इस्लामी मुल्क है, अगर ऐसे में हमें हर बार और हर जगह क़र्ज़ मांगना पड़े, तो इससे ज़्यादा शर्म की बात क्या हो सकती है।
उन्होंने कहा कि देश चलाने का यह सही तरीक़ा नहीं है, और न ही इस तरह से हम मुल्क को सही डायरेक्शन में ले जा सकते हैं। हमें यह भी सोचना चाहिए कि आज नहीं तो कल, यह क़र्ज़ इस मुल्क को वापस भी तो करने हैं।
पाकिस्तीनी प्रधानमंत्री ने आर्थिक मदद के लिए सऊदी अरब और यूएई की तारीफ़ भी की।
शाहबाज़ शरीफ़ पिछले हफ्ते ही तीन देशों की विदेश यात्रा से लौटे हैं। सबसे पहले वह जिनेवा गए थे। वहां उन्होंने क्लाइमेट समिट में हिस्सा लिया और पाकिस्तान के लिए 16 अरब डॉलर की मदद मांगी, ताकि बाढ़ से तबाह मुल्क की कुछ मदद हो सके।
उसके बाद शरीफ़, सऊदी अरब पहुंचे। वहां आर्मी चीफ़ आसिम मुनीर पहले से ही मौजूद थे। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उन् 5 अरब डॉलर देने का भरोसा दिलाया।
यूएई ने भी शरीफ़ से मदद का वादा किया है।
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