AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
रविवार

1 जनवरी 2023

8:01:05 pm
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लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी का आदेश, क्या तालिबान शासन के लिए सिर दर्द बन गया है?

तालिबान की अंतरिम सरकार की नीतियां, ख़ासकर स्कूलों और यूनिवर्सिटियों में लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध, इस गुट के लिए एक बड़ी आंतरिक और बाहरी चुनौती बन गई हैं, जिसके कारण विश्व समुदाय तालिबान के साथ सहयोग करने के लिए तैयार नहीं है।

1990 के दशक के बाद, तालिबान ने अगस्त 2021 में फिर से अफ़गानिस्तान पर  क़ब्ज़ा कर लिया था। काबुल में आंतरिक सरकार के गठन के बावजूद, तालिबान शासन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्ति की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अब विश्वविद्यालयों में लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध आदेश के बाद, इस शासन को न सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बल्कि ख़ुद इस गुट के समर्थकों की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ख़ुद अफ़ग़ानिस्तान में जो लोग तालिबान के ख़ौफ़ से अभी तक चुप्पी साधे बैठे थे, अब वे भी उनकी नीतियों की निंदा कर रहे हैं, ख़ास तौर पर महिलाएं अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के ख़िलाफ़ अपना ग़ुस्सा ज़ाहिर कर रही हैं।

इस्लामी सहयोग संगठन के महासचिव हुसैन इब्राहीम ताहा ने अफ़ग़ान लड़कियों की शिक्षा के लिए एक अभियान चलाने का आह्वान किया है। ताहा ने एक बयान में कहा है कि स्कूलों और यूनिवर्सिटियों में लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी, शरीयत के लिहाज़ से ग़लत है और तालिबान का यह दावा कि शरीयत, महिलाओं की शिक्षा की इजाज़त नहीं देती है, सरासर ग़लत है।

तालिबान शासन ने जहां लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी के लिए शरीयत को बहाना बनाया है, वहीं यह भी कहा है कि देश में लड़कियों की शिक्षा के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है। हालांकि स्कूलों में और यूनिवर्सिटियों में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग क्सालों का आयोजन किया जा रहा था। तालिबान के दावों के विपरीत, इस्लाम में शिक्षा की प्राप्ति पर जितना ज़ोर दिया गया है, शायद ही किसी धर्म में इतना ज़ोर दिया गया हो। इस्लाम ने शिक्षा की प्राप्ति में कभी भी महिलाओं और पुरुषों के बीत भेद नहीं किया है।

वहां इस तरह की कट्टरपंथी नीतियों से तालिबान को जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, वहीं एक बार फिर उनके बीच में और अफ़ग़ानिस्तान की जनता के बीच खाई अधिक चौड़ी होती चली जाएगी।     

इस बीच, अफ़ग़ानिस्तान में छात्रों ने एक अभियान शुरू किया है और कहा है कि जब तक लड़कियों को पढ़ाई की अनुमति नहीं दी जाती है, वे भी पढ़ाई का बहिष्कार करेंगे। अगर तालिबान लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी की अपने फ़ैसले पर अड़े रहते हैं, तो यह अभियान आगे चलकर एक बड़े जनांदोलन में भी बदल सकता है, जिससे निश्चित रूप से तालिबान के नए और कमज़ोर शासन को बड़ा नुक़सान हो सकता है।

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