AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
सोमवार

28 नवंबर 2022

6:16:48 pm
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यूक्रेन का समर्थन करने वाले देश हो रहे हैं कंगाल! आख़िर ऐसी क्या मजबूरी है जो कीएफ़ का साथ देने पर मजबूर है नाटो?

नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों का सैन्य और वित्तीय समर्थन यूरोप के लोगों को महंगा पड़ रहा है।

यूक्रेन में जारी युद्ध की सच्चाई अब दुनिया के सामने आ चुकी है। इस जंग की आग अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा लगाई गई है। लेकिन अब ख़ुद के ज़रिए लगाई गई युद्ध की आग में स्वयं अमेरिका और पश्चिमी देश जलने लगे हैं। नाटो के महासचिव स्टोलटेनबर्ग इस बात को स्वीकार किया है कि यूक्रेन युद्ध यूरोपीय देशों विशेषकर इन देशों की जनता के लिए मंहगा पड़ता जा रहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि हालांकि यूरोपीय देशों को इसके बावजूद कीएफ़ को सैन्य आपूर्ति जारी रखनी चाहिए, क्योंकि शांति बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीक़ा यूक्रेन का समर्थन करना है। जबकि जानकारों का मानना है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों ने ही इस पूरे इलाक़े को शांति बनाए रखने के नाम पर अशांत किया है। स्टोलटेनबर्ग ने विशेष रूप से जर्मनी द्वारा यूक्रेन की की जाने वाली सहायता का उल्लेख करते हुए कहा कि जर्मन सरकार ने सबसे ज़्यादा कीएफ़ की सैन्य सहायता की है जिसमें वायु रक्षा प्रणालियों और हॉवित्ज़र जैसी तोपों की आपूर्ति शामिल है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि "जर्मनी के हथियार जीवन बचाते हैं।” लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे यह पूछा कि हथियारों की आपूर्ति से न केवल यूक्रेनी जनता के जीवन पर ख़तरा मंडराने लगा है बल्कि स्वयं जर्मनी में भी आम लोगों का जीवन इससे प्रभावित हो रहा है तो उन्होंने इसपर चुप्पी साधे रखी।

बता दें कि मास्को ने बार-बार संघर्ष में शामिल होने के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, जबकि यूरोपीय संघ, अमेरिका और नाटो ने यह सुनिश्चित किया है कि वे यूक्रेन के सैनिकों को प्रशिक्षित करने, यूक्रेन को प्रशिक्षक और हार्डवेयर भेजने और ख़ुफ़िया जानकारी और सहयोग प्रदान करने के बावजूद शत्रुता में शामिल नहीं हैं। रूस के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने कहा कि पश्चिम से हथियारों के साथ यूक्रेन को सहायता करना रूस-यूक्रेन वार्ता की सफलता में योगदान नहीं देगा और इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे पहले रूस ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के मुद्दे पर सभी देशों को एक राजनयिक पत्र भेजा था। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि हथियार युक्त यूक्रेन रूस के लिए एक वैध लक्ष्य बन जाएगा। वहीं जानकारों का भी मानना है कि अगर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को हथियार न दिए होते और युद्ध के लिए न उकसाया होता तो मास्को और कीएफ़ की बीच जारी मतभेद को वार्ता के ज़रिए हल किया जा सकता था। लेकिन इन देशों ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी गतिरोध की आग में हथियारों की आपूर्ती करके उसमें घी डालने और युद्ध की आग को भड़काने का काम किया है। (RZ)  

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