AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
बुधवार

7 जुलाई 2021

6:14:49 pm
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क्षेत्र में ब्रिटेन की लोमड़ी वाली चाल, फ़ार्स की खाड़ी के 6 अरब देशों की गुप्त मदद, चल रहा है डर्टी गेम...

ब्रिटिश सांसदों का कहना है कि सरकार ने गुप्त रूप से फ़ार्स की खाड़ी के छह देशों के लिए दसियों लाख पाउंड की गुप्त मदद भेजी है।

फ़ार्स न्यूज़ एजेन्सी कि रिपोर्ट के अनुसार कुछ ब्रिटिश सांसदों ने मध्यपूर्व या पश्चिमी एशिया के छह देशों को मिलाकर बने गुट को सरकार द्वारा भेजी जा रही गुप्त मदद रुकवाने की मांग की है।

इंडिपेंडेंट सहित ब्रिटिश मीडिया ने रिपोर्ट दी है कि ब्रिटिश सरकार ने 2016 से 2021 के बीच लगभग 64.3 मिलियन पाउंड इन छह देशों को रवाना किए हैं। बहरैन, सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब इमारात, क़तर और ओमान वह छह देश हैं जिनको यह मदद मिली है।

ब्रिटिश सांसदों के एक गुट ने सरकार द्वारा सऊदी अरब और बहरैन के लिए वित्तीय मदद भेजे जाने की आलोचना की है और कहा है कि यह दोनों देश मानवाधिकारों के हनन और अपने युद्ध अपराधों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं और ब्रिटिश सरकार को उनका साथ देने की वजह से अपराध में शामिल करने का ख़तरा पैदा करते हैं।

ब्रिटिश विदेशमंत्रालय ने अभी तक इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया है और यह भी नहीं बताया कि यह पैसे कहां और क्यों ख़र्च हो रहे हैं। ब्रिटिश सांसदों को चिंता है कि कहीं यह पैसे आंतरिक लोगों के दमन के लिए प्रयोग न हो रहे हो।

ब्रिटिश सांसदों ने यह मदद रुकवाने की मांग की है और कहा है कि सरकार की फ़िज़ुल ख़र्ची अब बर्दाश्त से बाहर हो रही है। उन्होंने सरकार से इन पैसों का हिसाब किताब देने की मांग की है।

ब्रिटिश सांसदों ने यह चिंता मानवाधिकार के बारे में सऊदी अरब और बहरैन सरकार के अतीत को देखते हुए व्यक्त की है। ग़ौरतलब है कि सऊदी पत्रकार ख़ाशुक़्जी को जो वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिखते थे और उनके पास अमरीकी नागरिकता थी, 2 अक्तूबर 2018 को तुर्की के इस्तांबूल शहर में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में बड़ी ही बर्बरता के साथ क़त्ल कर दिया गया। जमाल ख़ाशुक़्जी अपने लेख में सऊदी युवराज की आलोचना करते थे।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष रिपोर्टर ने कहा कि सऊदी सरकार के विरोधी पत्रकार जमाल ख़ाशुक़्जी की हत्या जैसे अपराधों पर अमरीका की पूर्व सरकारें, ट्रम्प प्रशासन के मुक़ाबले में कहीं अधिक प्रतिक्रिया व्यक्त करती थीं।

कुछ दिन पहले भी एक ब्रिटिश समाचार पत्र ने राज़ फ़ाश किया था कि सऊदी अरब के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सऊदी अरब के विरोधी पत्रकार जमाल ख़ाशुक़्जी की हत्या की जांच करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष रिपोर्टर एग्निस कालामार्ड को इशारों इशारों में दो बार मौत की धमकी दी थी।

गार्डियन समाचार पत्र के अनुसार एग्निस कालामार्ड ने जमाल ख़ाशुक़्जी की हत्या के मामले में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र संघ में उनके एक साथी ने उन्हें कुछ दिन पहले सचेत किया था कि सऊदी अरब के एक वरिष्ठ अधिककारी ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाक़ात में दो बार एग्निस कालामार्ड को जान से मारने की धमकी दी थी और कहा था कि मैडम अपना ख़याल रखा करें, कालामार्ड ने इस बात का मतलब जान से मारने की धमकी के रूप में निकाला था।

कालामार्ड वह पहली इंसान थीं जिन्होंने जमाल ख़ाशुक्जी की 2018 में हत्या की विस्तृत रिपोर्ट खुलकर जारी की थी। 100 पृष्ठों पर आधारित कालामार्ड की रिपोर्ट जून 2019 में जारी हुई जिसमें पक्के सबूतों के आधार पर बताया कि सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान और अन्य वरिष्ठ सऊदी अधिकारी, इस हत्या के ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इससे एक अंतर्राष्ट्रीय अपराध की संज्ञा दी थी।