बताया जाता है कि रौज़े के कुछ दरवाज़े, मरम्मत, पुनर्निमाण या विस्तार योजना के अंतर्गत बंद कर दिए गये थे या उन पर काम चल रहा था जिसकी वजह से तीर्थयात्रियों को काफ़ी परेशानी का सामना हो रहा था।
फ़ार्स न्यूज़ एजेन्सी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हुसैनी लश्कर के ध्वजवाहक हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के रौज़े में मरम्मती काम कुछ सालों से चल रहा था और यह विस्तार का काम बाबुल क़िब्ला से लेकर क़िब्ला रोड तक चल रहा था जिसकी वजह से तीर्थयात्रियों और ज़ायरों को घूमकर बड़ा लंबा चक्कर लगाकर रौज़े में जाना पड़ता था।
इस विस्तार योजना के बाद रौज़े का एरिया भी बढ़ गया है जिससे पहले से ज़्यादा तीर्थयात्री आ सकते हैं। इस के अलावा हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम के प्रागड़ में भी विस्तार का काम चल रहा था जो लगभग पूरा हो गया है।
रौज़े की मरम्मत और विस्तार के काम में इराक़ी इंजीनियर्स, वास्तुकार और कलाकार अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनकी सेवाओं का परिणाम अब सामने आ गया है। (AK)