ब्रिटिश अख़बार इंडिपेंडेंट के संवाददाता ने रामल्लाह से अपनी रिपोर्ट में कहा कि समीर औज़ नाम का युवा मनारा स्क्वायर पर खड़ा नज़र आया वहां और भी जवान थे। मैंने उनके बीच जाकर बातचीत में हिस्सा लिया तो मालूम हुआ कि सब भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं। समीर औज़ का कहना था कि रामल्ला में कुछ भी आशाजनक नज़र नहीं आता। हर तरफ़ सिर्फ़ वीरानी और तबाही है यह युवाओं के बीच आम एहसास है। 23 साल के समीर को भारी ग़ुस्सा है इस्राईल पर नहीं बल्कि फ़त्ह आंदोलन के नेतृत्व पर भी उतना ही क्रोध है क्योंकि वह फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की स्थापना का वादा पूरा करने में नाकाम रहा। यही नहीं वह तो रोज़मर्रा की चीज़ें उपलब्ध कराने में भी नाकाम साबित हुआ।
हालिया लड़ाई के बाद यह भी देखने में आया कि इस्राईल के भीतर अरब आबादी और इस्राईली फ़ोर्सेज़ में झड़पें शुरु हो गईं। यह तब हुआ जब इस्राईल ग़ज़्ज़ा पर मिसाइल बरसा रहा था और फ़िलिस्तीनी संगठन ग़ज़्ज़ा से मिसाइल फ़ायर कर रहे थे।
पत्रकार का कहना है कि संघर्ष विराम का एलान हो जाने के बाद भी वेस्ट बैंक में इस्राईली फ़ोर्सेज़ और फ़िलिस्तीनियों में झड़पें हुईं क्योंकि इस्राईली सैनिकों ने सैकड़ों फ़िलिस्तीनियों को गिरफ़तार करने की कोशिश की।
इंडिपेंडेंट के पत्रकार का कहना है कि फ़त्ह आंदोलन की लोकप्रियता और विश्वसनीयता पूरी तरह समाप्त हो गई है जबकि हमास का हर तरफ़ समर्थन बढ़ रहा है। हमास को अब हर धर्म के फ़िलिस्तीनी उस ताक़त के रूप में देखते हैं जो इस्राईल का मुक़ाबला करने में पूरी तरह सक्षम है।
मुहम्मद ख़ोरी एक कर्मचारी हैं उनका कहना है कि मैं पारम्परिक रूप से फ़त्ह का समर्थक था मैंने कभी हमास का समर्थन नहीं किया लेकिन अब हम देखते हैं कि हमास किस बहादुरी से इस्राईल का मुक़ाबला कर रहा है। इस्राईल ने बहुत हमले किए लेकिन वह हमास को शिकस्त नहीं दे पाया।
मनारा स्क्वायर पर खड़े दूसरे युवा भी ख़ोरी की बात के समर्थन में सिर हिला रहे थे। ख़ोरी ने कहा कि अगर चुनाव हुए तो मैं हमास को वोट दूंगा।
अब तो वेस्ट बैंक के ईसाई भी कह रहे हैं कि इस लड़ाई में हमास ने ख़ुद को फ़िलिस्तीनियों के मज़बूत प्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया है केवल ग़ज़्ज़ा पट्टी भी कह रहे हैं कि इस लड़ाई में हमास ने ख़ुद को फ़िलिस्तीनियों के मज़बूत प्रतिनिधि के रूप में स् में नहीं बल्कि वेस्ट बैंक और क़ुद्स के भीतर थी।
ईसाई राजनेता और पूर्व मंत्री हन्नाह इशरावी ने कहा कि हम क़ुद्स और रामल्ला में लोगों के हाथों में हमास के झंडे देखते हैं। यह पहले कभी नहीं हुआ, हमास बहुत आगे जा चुका है और युवाओं के बीच उसका समर्थन लगातार बढ़ रहा है, यहां तक कि ईसाइयों कें बीच भी।
स्रोतः इंडिपेंडेंट