AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

14 मई 2021

6:11:28 pm
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इस्राईल के दो बड़े झूठ, चार परिवर्तनों से समझिए युद्ध के बाद क्या होंगे हालात, फ़िलिस्तीनियों के अय्याश २५० मिसाइल ने इस्राईली नेतृत्व पर गिराई है कैसी बिजली?

हमें इन दिनों जिस बात पर बड़ी हंसी आ रही है वह इस्राईल के सैनिक प्रवक्ताओं की ग़ज़्ज़ा में टारगेट बैंक को मिसाइलों से निशाना बनाने से संबंधित बयानबाज़ी है। उनका कहना था कि यह बड़े महत्वपूर्ण टारगेट थे लेकिन पता यह चला कि यह रिहाइशी इमारतें थीं जहां आम नागरिकों के घर थे।

ग़ज़्ज़ा पट्टी कोई रूस नहीं है जो पूर्वी एशिया से पश्चिमी यूरोप तक फैली हुई हो और न ही यह चीन महाद्वीप है, न ही इसका क्षेत्रफल फ़्रांस जितना है। गज़्ज़ा पट्टी तो एक ज़मीनी पट्टी है जिसका कुल क्षेत्रफल १५० वर्गमील से ज़्यादा नहीं हैं और इस इलाक़े में दुनिया की बहुत घनी आबादी बसती है। मगर इस छोटी सी जगह पर बड़ी सम्मानजनक प्रतिरोधक शक्तियां रहती हैं जो पूरी तरह तैयार हैं और जनता में जिनका बड़ा सम्मान है।

वर्तमान युद्ध के शुरुआती चार दिनों में जो बात सामने आई है वह यह है कि इस्राईली भी बुरी तरह घिर गए हैं। इसकी एक बड़ी दलील यह है कि अल्लद शहर के एयरपोर्ट को बंद करना पड़ा है मगर इसका उल्टा नतीजा निकला क्योंकि इस्राईल ने इसके बाद सारी उड़ानें रामोन शहर के एयरपोर्ट की ओर मोड़ दी और हमास की क़स्साम ब्रिगेड का मिसाइल अय्याश २५० रामोन शहर तक जा पहुंचा जिसके बाद इस्राईल से सारी उड़ानें बंद हो चुकी हैं। इस्राईल का संपर्क अब सारी दुनिया से कट चुका है।

इन दिनों इस्राईली सरकार इतने झूठ बोल रही है कि उनका गिन पाना कठिन है मगर दो झूठ बहुत बड़े हैं।

पहला झूठ यह है कि उसने गज़्ज़ा की सीमा पर टैंकों और तोपों का जमावड़ा इसलिए किया है कि वह ग़ज़्ज़ा में ज़मीनी हमला शुरु करने जा रही है। क्योंकि इस्राईली सरकार को अच्छी तरह मालूम है कि अगर उसने ज़मीनी कार्यवाही शुरू की तो यह फ़िलिस्तीनी जियालों के लिए बहुत बड़ा तोहफ़ा हो जाएगा। ग़ज़्ज़ा वासियों के पास इस समय ढाई लाख से ज़्यादा क्लाशनकोफ़ हैं जो आम नागरिकों के हाथ में हैं। फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं की तो ख़ैर बात ही अलग है। एरियल शेरोन एक बार गज़्ज़ा पट्टी में घुस तो गए थे मगर नतीजा यह हुआ कि उन्हें अपने सैनिकों ही नहीं बल्कि वहां बसने वाले सात हज़ार ज़ायोनियों के साथ इस तरह भागना पड़ा कि फिर कभी उन्होंने ग़ज़्ज़ा की ओर मुड़ कर देखने की हिम्मत नहीं की। यह सबक़ इस्राईल के लिए एसा सबक़ बन गया जिसे वह कभी भूल नहीं सकता।

इस्राईली सरकार का दूसरा सबसे बड़ा झूठ इस्राईली इंटेलीजेन्स मंत्री एली कोहीन ने दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने हमास की ओर से संघर्ष विराम का हर प्रस्ताव ठुकरा दिया। इस बारे में हमें जो जानकारियां मिल रही हैं उनके अनुसार तो नेतनयाहू अब तक क़ाहेरा और दोहा से संपर्क करके मदद मांग चुके हैं कि किसी तरह क़तर और मिस्र की सरकारें बीच में पड़कर संघर्ष विराम करवाएं। इसके जवाब में हमास के हनीया और जेहादे इस्लामी के ज़्यादा नुख़ाला ने कहा कि हम सौ दो सौ दिन तक लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार हैं और यह कि अब तक जो मिसाइल ताक़त इस्तेमाल हुई है वह तो केवल बानगी है। उन्होंने अरब मध्यस्थों से साफ़ साफ़ कहा है कि हम एक ही सुराख़ से दो बार डसे जाने के लिए तैयार नहीं हैं।

अय्याश २५० मिसाइल जिसने इस्राईली मिसाइल ढाल सिस्टम आयरन डोम को भेदते हुए दक्षिणी फ़िलिस्तीन के नक़्ब इलाक़े में स्थित रामोन एयरपोर्ट को निशाना बनाया वह इस्राईली सैनिक व राजनैतिक नेतृत्व पर बिजली बन कर गिरा है क्योंकि वह सोच भी नहीं सकते थे कि इतना भारी और सटीक मिसाइल हमास के पास मौजूद होगा।

नेतनयाहू और उनके सहयोगी इस समय संघर्ष विराम के लिए पूरी जान लगा रहे हैं इसकी वजह एक तरफ़ फ़िलिस्तीनियों की मिसाइल ताक़त है और दूसरी ओर इस्राईल की अस्त व्यस्त आंतरिक हालत है। इस्राईल के भीतर इंतेफ़ाज़ा आंदोलन शुरू हो चुका है। इस समय याफ़ा, हैफ़ा, उम्मुल फ़ह्म, नासेरा, अल्लद, रमला, अका, तबरिया, बेअर सबा और दूसरे कई शहरों में बसने वाले फ़िलिस्तीनी सड़कों पर हैं और इस्राईल से उनका संघर्ष जारी है। यह सारे लोग बैतुल मुक़द्दस के फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में सड़कों पर उतरे हैं जिन पर इस्राईल पिछले कई हफ़्तों से हमले कर रहा था। यह इंतेफ़ाज़ा दरअस्ल यहूदी शासन के ख़्वाब का अंत है।

अक़सा के आंदोलन ने इस बार सबसे बड़ी जो कामयाबी हासिल की वह केवल आयरन डोम का फ़ल हो जाना और इस्राईल के भीतर भूकंप जैसे हालात ही नहीं हैं बल्कि ज़मीन पर नए समीकरणों की स्थापना है जो आने वाले दिनों में पूरे मिडिल ईस्ट का नक़्शा बदल देने वाले हैं। हम यहां इन समीकरणों को संक्षेप में बता रहे हैं।

एक तो ग़ज़्ज़ा के फ़िलिस्तीनी संगठनों ने यह साबित किया है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपके पास कितने सटीक और कितने शक्तिशाली मिसाइल किस बड़ी संख्या में हैं बल्कि उससे ज़्यादा महत्वपूर्ण बात आपका इरादा है।

दूसरी बात ईरान, सीरिया और इराक़ी फ़ोर्सेज़ की ओर से यह साबित कर दिया गया है कि अगर इस्राईल उन पर हमला करेगा तो इस हमले का जवाब ज़रूर दिया जाएगा।

तीसरी बात यह है कि इस्राईल की सामरिक और इंटेलीजेन्स शक्ति का हौवा अब चकनाचूर हो चुका है। अब फ़िलिस्तीन में महमूद अब्बास जैसे वार्ता की वकालत करने वाले नेता हाशिए पर चले गए हैं अब फ़ाइनल बात प्रतिरोधक संगठनों की होती है।

चौथी बात यह है कि जब अक़बा खाड़ी से शुरू होकर भूमध्यसागर तक जाने वाली तेल और गैस की पाइपलाइनों को फ़िलिस्तीनी संगठनों ने मिसाइल से निशाना बना लिया तो इसका मतलब यह हुआ कि अब्राहाम शांति के नाम से होने वाले सारे समझौते बेकार हो चुके हैं। अरब देश इस्राईल से समझौते करके इन पाइपलाइनों के रास्ते से अपना तेल यूरोप को बेचना चाहते थे।

पूरा इस्राईली एजेंडा ही अब रेत की दीवार की तरह ढहता दिखाई दे रहा है। इस एजेंडे के धोखे में दुनिया के कोने कोने से आकर फ़िलिस्तीनी ज़मीनों पर बस जाने वाले यहूदियों के पास अब एक ही रास्ता बचता है कि अपना बोरिया बिस्तर बांधें और जान बचाकर भाग निकलें।

अब्दुल बारी अतवान

अरब जगत के विख्यात लेखक व टीकाकार