यमन में पिछले 6 साल से युद्ध जारी है, जिसने इस देश की आम ग़रीब जनता के साथ-साथ मछुआरों को भी बहुत प्रभावित किया है।
यमन के ख़ैसाह गांव के रहने वाले और हुदैदा से आकर इस गांव में शरण लेने वाले कुछ मछुआरों को हाल ही में पानी पर तैरता हुआ ख़ज़ाना हाथ लगा है, जिससे उनका पूरा गांव अमीर बन सकता है।
क़िस्सा कुछ इस तरह से है कि एक दिन हुदैदा से विस्थापित होने वाले मछुआरे अब्दुल रहमान ने समुद्र में एक मुर्दा व्हेल मछली को देखा।
अब्दुल रहमान स्पर्म व्हेल को पहचानते थे, जबकि उनके अन्य स्थानीय साथी उस मुर्दा मछली को कई बार देख चुके थे, लेकिन उन्हें उसकी पहचान नहीं थी।
एम्बरग्रीस स्लेटी या काले रंग का एक ठोस पदार्थ होता है, जो कई वर्षों के दौरान स्पर्म व्हेल की आंतों में बनता है। इसे "व्हेल उल्टी" के रूप में भी जाना जाता है, यह व्हेल के शरीर के अंदर उसकी रक्षा के लिए पैदा होता है। कई बार यह पदार्थ रेक्टम के ज़रिए बाहर आता है, लेकिन कभी-कभी पदार्थ बड़ा होने पर व्हेल इसे मुंह से उगल देती है।
यह पदार्थ अविश्वसनीय रूप से मूल्यवान होता है। इत्र बनाने के लिए एम्बरग्रीस से एक तेल निकाला जाता है और इसका उपयोग सबसे महंगे इत्र या परफ़्यूम के लिए किया जाता है।
अब्दुल रहमान ने अपने जीवन में कभी एम्बरग्रीस नहीं देखा था। वह दूसरे मुछआरों के साथ नांव में थे। उन्होंने अपने साथियों और नज़दीक की नौकाओं में सवाल दूसरे मछुआरों से व्हेल को तट तक ले जाने का अनुरोध किया।
उनके अनुरोध के बाद, 9 नौकाओं ने व्हेल को तट तक ले जाने में उनकी मदद की। व्हेल को काटते वक़्त अचानक उन्हें 127 किलोग्राम वज़नी वह ख़ज़ाना हाथ लगा, जिसे उन्होंने यूएई के एक व्यापारी को 1.5 मिलियन डॉलर में बेच दिया।