सूमरिया न्यूज़ के मुताबिक़, हलब्चे पर इराक़ के बासी शासन के बर्बरतापूर्ण हमले की 33वीं बरसी पर इराक़ी प्रधान मंत्री ने कहाः उस त्रासदी की कड़वी यादें आज भी ताज़ा हैं जिसमें हज़ारों आम लोग मारे गए। उन्होंने कहाः वह त्रासदी हमें यह बताती है कि सामूहिक विनाश के हथियार जब एक अत्याचारी के हाथ में पड़ते हैं तो वह कैसे कैसे ज़ुल्म करता और कैसी कैसी तबाही फैलाता है।
मुस्तफ़ा अलकाज़ेमी ने कहाः हलब्चा कुर्दिस्तान की जनता की ओर से दी गयी बहुत बड़ी क़ुर्बानी थी जिस तरह पूरे इराक़ में जनता ने एक उद्दंडी के ज़ुल्म से मुक्ति पाने और आज़ादी के लिए क़ुर्बानी दी।
उन्होंने आगे कहाः इराक़ी जनता ने शहीदों की क़ुर्बानी से पाठ लिया है और हम एक आज़ाद व प्रजातांत्रिक इराक़ बनाने की कोशिश करेंगे।
ग़ौरतलब है कि इराक़ के सद्दाम शासम ने 16 मार्च 1988 को हलब्चे पर रासायनिक बमबारी की थी, जिसमें 5000 बेगुनाह मारे गए और 7000 से 10000 के बीच घायल हुए।
इस बमबारी का असर बरसों, सैकड़ों शिशुओं के जन्मजात विकलांग पैदा होने के रूप में ज़ाहिर हुआ।