समाचार एजेंसी फ़ार्स न्यूज़ के मुताबिक़, ह्मूयन राइट्स वॉच ने अपनी सालाना रिपोर्ट में पुष्टि की है कि सन 2020 में बहरैन शासन ने सोशल नेटवर्क साइटों के यूज़र्स का दमन तेज़ कर दिया है और वह आलोचना करने वालों के ख़िलाफ़, उनके शांतिपूर्ण बयान के बावजूद, क़ानूनी कार्यवाही कर रहा है। बहरैन की अदालत ने, विरोधी कार्यकर्ताओं को अन्यायपूर्ण मुक़द्दमे में मौत की सज़ा सुनाई है।
इस रिपोर्ट में पुष्टि हुयी है कि बहरैन की अपर कोर्ट ने कम से कम 4 लोगों को, जिन्हें मौत की सज़ा सुनाई गयी थी, संदिग्ध मुक़द्दमे में यातना और न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान की सज़ा सुनाई। बहरैन के मानवाधिकार केन्द्र के मुताबिक़, इस वक़्त 27 लोग ऐसे हैं जिन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गयी है और उन्हें कभी भी फांसी हो सकती है।
इसके अलावा, 2017 में बहरैन में फांसी की सज़ा पर रोक लगने के बाद से, अब तक 6 लोगों को फांसी दी गयी है।
ह्मूयन राइट्स वॉच के दक्षिण-पश्चिम एशिया विभाग के उप निदेशक जो स्टॉर्क का कहना है कि बहरैनी सरकार, अपने आलोचकों का दमन करने, उनकी आवाज़ को दबाने और दंडित करने के लिए हर तरह का हथकंडा इस्तेमाल करती है और इस बीच फांसी की सज़ा बढ़ गयी। सोशल नेटवर्क साइटों पर सक्रिय लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार विरोधियों को गिरफ़्तार करने के बाद, किसी भी तरह की मेडिकल सुविधा नहीं दी जाती।
बहरैन के न्याय तंत्र ने कुछ लोगों के ख़िलाफ़ सोशल नेटवर्क साइटों पर पोस्ट करने के कारण कार्यवाही की, जिनमें 2 मशहूर वकील अब्दुल्लाह अश्शमलावी और अब्दुल्लाह हाशिम भी हैं।
अब तक इस तरह की अनेक रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं कि इस देश की जेल में सालाना बड़ी तादाद में क़ैदी, इलाज की सुविधा न मिलने से मर जाते हैं।