AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शनिवार

9 जनवरी 2021

1:30:52 pm
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पाकिस्तान शिया मुसलमानों ने धरना ख़त्म किया, सरकार से समझौता, मगर न मिलने पर अड़े रहे इमरान ख़ान!

पाकिस्तान में हज़ारा श्रामिकों की जघन्य हत्या के बाद आरंभ होने वाला धरना ख़त्म हो गया है।

पाकिस्तानी सूत्रों के अनुसार, बलोचिस्तान के मुख्य मंत्री जाम कमाल ख़ान और धरना करने वालों की समिति के बीच वार्ता सफल हो गयी जिसके बाद उन्होंने धरना ख़त्म करने की घोषणा कर दी और कहा है कि शहीद होने वालों को दफ़्न कर दिया जाएगा।

     पाकिस्तानी सूत्रों  ने बताया है कि सरकार और धरना समिति के बीच लिखित समझौता हुआ है  और सरकार ने हज़ारा समुदाय की सभी मांगे स्वीकार कर ली हैं।

     बलोचिस्तान के मुख्यमंत्री स्थानीय समयानुसार रात 12 बजे वार्ता के लिए धरना स्थल पर पहुंचे थे जहाँ उन्होंने सभी मांगों को स्वीकार करते हुए समझौते पर हस्ताक्षर किये।

     समझौते के अनुसार जाँच के लिए एक समिति बनेगी जिसमें मछ हत्याकांड में मारे जाने वालों के परिजनों की " शहीद समिति" के दो सदस्य भी शामिल किये जाएंगे तथा दो सरकारी प्रतिनिधि होंगे जो इस हत्याकांड की जांच पर नज़र रखेगी। इसी तरह राज्य सरकार, मारे जाने वालों के क़ानूनी वारिस को सरकारी नौकरी देगी और उनके बच्चों को शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप दी जाएगी।

     गत 3 जनवरी को बलोचिस्तान के मछ नामक इलाक़े में 10 खनिक की बड़ी क्रूरता के साथ हत्या कर दी गयी। यह लोग शिया समुदाय के थे। इस भयानक हत्याकांड के बाद मारे जाने वालों के परिजनो ने लाशे दफ़्न करने से इन्कार कर दिया और लाशों के साथ धरने पर बैठ गये। उनकी मांग थी कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान क्वेटा आकर उनसें मिलें। क्वेटा में शुरु होने वाला यह धरना धीरे धीरे पाकिस्तान के अन्य शहरों तक फैल गया और कराची सहित पाकिस्तान के कई शहरों में लोग धरने पर बैठ गये।  

     समझौते के बाद बलोचिस्तान के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और सेनाध्यक्ष भी क्वेटा आकर हज़ारा समुदाय से मिलेंगे। उन्होंने बताया कि शहीदों को दफ़्न किये जाने के बाद प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा क्वेटा आएंगे।  

     पाकिस्तान में शिया हज़ारा समुदाय पर हमले आम बात है और उन्हें पहले भी शिया होने की वजह से मारा जाता रहा है।

     10 लाशों के साथ धरने के बाद पूरे पाकिस्तान में धरनों का क्रम शुरु होने और विपक्षी नेताओं के दबाव के बावजूद इस देश के प्रधानमंत्री ने धरना देने वालों से मिलना स्वीकार नहीं किया जिसके लिए उनकी आलोचना की जा रही है।