AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
गुरुवार

26 नवंबर 2020

7:27:10 pm
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यमनियों ने किस तरह बिन सलमान को रुलाया? बिन सलमान का विलाप, अंसारुल्लाह की कामयाबी

यमन के अंसारुल्लाह जनांदोलन के प्रवक्ता मुहम्मद अब्दुस्सलाम ने इस संगठन के ख़िलाफ़ वैश्विक एकजुटता बनाने और अपने आपको मज़लूम दर्शाने की सऊदी अरब की कोशिशों के बारे में स्पष्ट रूप से कहा है कि अंसारुल्लाह के हर दर्दनाक जवाब पर सऊदी अरब का विलाप, वही चीज़ है जो हम चाहते हैं और इससे पता चलता है कि हमारे हमले प्रभावी रहे हैं।

सऊदी अरब को उसी तरह से विलाप करना चाहिए जिस तरह से जिस तरह से उसके ज़ालिमाना हमलों की वजह से यमनी तकलीफ़ में हैं। सऊदी अरब की सरकार ने एक सैन्य गठजोड़ बना कर यमन के ख़िलाफ़ एक भयानक युद्ध शुरू कर दिया और अस्पतालों, स्कूलों, भीड़-भाड़ वाले बाज़ारों, स्कूलों और घरों पर बमबारी की। दुनिया रोज़ ही सऊदी गठजोड़ के इन अपराधों की साक्षी है और इसी वजह से कई बार उसका नाम बच्चों का जनसंहार करने वाली सरकारों की सूची में शामिल हुआ लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने हर बार दबाव और धमकी से मजबूर हो कर उसका नाम उस लिस्ट से निकाल दिया।

 

आज सऊदी अरब अपने आपको यमनी बलों के मीज़ाइल हमलों की बलि दिखाने की कोशिश कर रहा है और अपनी तेल रिफ़ाइनरी आरामको या अन्य रणनैतिक स्थानों पर गिरने वाले मीज़ाइलों के टुकड़ों की प्रदर्शनी लगा कर अमरीका की मदद से विश्व समुदाय को अंसारुल्लाह के ख़िलाफ़ उकसाने की कोशिश कर रहा है। रियाज़ अज्ञान बनने का ढोंग करके दावा कर रहा है कि सऊदी अरब पर फ़ायर किए जाने वाले ये मीज़ाइल अन्य देशों से यमन पहुंचाए गए हैं। अमरीका की भरपूर मदद से यमन का जो व्यापक घेराव किया गया है उसे देखते हुए रियाज़ का यह दावा अत्यंत हास्यास्पद और कोरा झूठ है, साथ ही यमनियों के मुक़ाबले में सऊदी अरब की अक्षमता ने उसे सबके सामने मज़ाक़ बना कर रख दिया है।

 

आज सऊदी अरब विश्व समुदाय की आलोचना कर रहा है और कह रहा है कि अगर यमनियों (यानी अंसारुल्लाह) के ख़िलाफ़ उसका समर्थन न किया गया तो पूरे संसार में ऊर्जा के लिए ख़तरा उत्पन्न हो जाएगा और लाल सागर में यूनानी तेल टैंकर के क़रीब होने वाला धमाका इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। पश्चिम विशेष कर अमरीका को यमन के युद्ध को रुकवाने में कोई रुचि नहीं है और वह इस संकट के समाधान के लिए मध्यस्थता भी नहीं कर रहा है क्योंकि इस पूरे मामले में फ़ायदा तो पश्चिम को ही हो रहा है और यह सऊदी युवराज मुहम्मद बिन सलमान हैं जो यमन के दलदल में फंस गए हैं। उनके सामने इस संकट से निकलने का कोई रास्ता भी नहीं है कि जिस पर चल कर वह अपनी बची हुई इज़्ज़त बचा सकें। इसी लिए यह सऊदी राजकुमार, दुनिया को अंसारुल्लाह के ख़िलाफ़ एकजुट करना चाहता है और इसके लिए वह पानी की तरह पैसा भी बहा रहा है लेकिन युद्ध रुकवाने में फिर भी नाकाम है।

 

आज यमन के लोगों को इस बात पर गर्व करने का हक़ है कि सऊदी अरब द्वारा पश्चिम से हथियार ख़रीदने और तकफ़ीरी व बहाबी सेना पर ख़र्च किए गए अरबों डाॅलर के मुक़ाबले में उन्होंने प्रतिरोध किया है और घृणित मुहम्मद बिन सलमान को यह विश्वास दिला दिया है कि उनके पास युद्ध ख़त्म करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। दूसरी तरफ़ बिन सलमान, बलि की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे है लेकिन यह भी संभव है कि वे यमन में नए अपराध करके अपना क्रोध शांत करने की कोशिश करें।