सऊदी अरब के लिए एक गंभीर स्थिति यह है कि अमरीका में डोनल्ड ट्रम्प का शासनकाल समाप्त हो रहा है और जो बाइडन सत्ता संभाल रहे हैं। सऊदी अरब को एहसास हो चुका है कि बाइडन के शासन काल में अमरीका की नीतियां ज़रूर बदलेंगी। बाइडन कह चुके हैं कि सऊदी अरब से वह मानवीय हितों के आधार पर निपटेंगे राजनैतिक हितों के आधार पर नहीं।
यमन युद्ध बंद करवाने और वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या के मामले में कार्यवाही के बारे में जो बाइडन के बयानों को देखते हुए सऊदी अरब के राज्य मंत्री आदिल अलजुबैर अपना स्वर कठोर करते जा रहे हैं। जुबैर को यह आशंका है कि अमरीकी सरकार सऊदी अरब पर प्रतिबंध लगाने और हथियारों की बिक्री रोक देने जैसा कोई क़दम उठा सकती है।
जर्मनी ने सऊदी अरब को हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है और इस प्रतिबंध की अवधि बढ़ाने का समय आ गया है। अब इस बीच अगर अमरीका ने भी सऊदी अरब पर प्रतिबंध लगा दिया तो रियाज़ सरकार के लिए निश्चित रूप से समस्याएं खड़ी हो जांएगी। आदिल अलजुबैर ने बयान दिया है कि उनके देश के पास हथियार ख़रीदने के दूसरे भी विकल्प हैं।
इससे पहले कभी नहीं देखा गया कि सऊदी अरब इस प्रकार के कठोर बयान दे। ट्रम्प के शासन काल में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने बड़े पैमाने पर उथल पुथल मचाई। देश के भीतर राजकुमारों और व्यापारियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की और यमन युद्ध को भयानक रूप से जारी रखा।
सऊदी अरब को यह एहसास है कि अब यमन युद्ध, मानवाधिकार की स्थिति, माहिला कार्यकर्ता लजीन हज़लूल और अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ़तारी जैसे बहुत से मामलों में दबाव बढ़ने वाला है। इसीलिए आदिल अलजुबैर ने पहले ही कठोर बयान देना शुरू कर दिया है।
जुबैर ने कहा कि आप के यहां आप के क़ानून हैं और हमारे यहां हमारे क़ानून हैं और किसी के इतना कहने से कि हम आपके क़ानूनों को पसंद नहीं करते हम अपने क़ानून बदलने वाले नहीं हैं। जुबैर ने यह बातें जर्मन न्यूज़ एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में कही हैं। जुबैर ने कहा कि अगर हम जर्मनी से कहें कि आप अपने होटलों में शराब न बेचिए क्योंकि सऊदी अरब में शराब पर पाबंदी है तो क्या जर्मनी हमारी इस बात को स्वीकार करेगा?
जुबैर ने तो यह भी कह डाला कि अगर ईरान परमाणु शक्ति बना तो सऊदी अरब के पास परमाणु हथियार तैयार करने का अधिकार सुरक्षित होगा। जुबैर की इन बातों से अंदाज़ा लगाना आसान है कि सऊदी अरब की समझ में आ चुका है कि उसके सामने कठिन हालात आने वाले हैं।
ख़ालिद जयूसी
फ़िलिस्तीनी पत्रकार