AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
बुधवार

18 नवंबर 2020

8:22:15 pm
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क्या जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले यमन युद्ध हो जाएगा समाप्त? आलोचनाओं से घिरे सऊदी युवारज की नई पैंतरेबाज़ी

जी-20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने जा रहा सऊदी अरब इस समय दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर है। जमाल ख़ाशुक़्जी की हत्या से लेकर यमन युद्ध तक, आले सऊद शासन के युवराज के वह काले करतूत हैं कि जिनको लेकर अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन रियाज़ के कड़े आलोचक हैं। इस बीच सऊदी अरब जी-20 शिखर सम्मेलन से ज़्यादा से ज़्यादा लाभ उठाना चाहता है, इसलिए उसने दुनिया को दिखाने के लिए यमन युद्ध को समाप्त करने को लेकर पैंतरेबाज़ी आरंभ कर दी है।

लेबानान के समाचार पत्र अलअख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़, 21 और 22 नवंबर को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर रहा सऊदी अरब चाहता है कि वह इस सम्मेलन से ज़्यादा से ज़्यादा राजनीतिक और आर्थिक निवेश का लाभ उठा सके। यह ऐसी स्थिति में है कि सऊदी अरब के वरिष्ठ पत्रकार और इस देश के शासन के आलोचक रहे जमाल ख़ाशुक़्जी की हत्या के मामले में फंसने के बाद से अब तक आले सऊद शासन के युवराज मोहम्मद बिन सलमान पश्चिमी मीडिया के सामने ख़ुद की एक उदारवादी नेता और सऊदी अरब की एक आधुनिक देश की छवि नहीं बना पाए हैं। इसीलिए सऊदी अरब युवराज ने विश्व समुदाय में अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए जी 20 शिखर सम्मेलन से बहुत सारी उम्मीदें लगाई हुईं हैं। लेकिन जी-20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी में संभावनाओं को ढूंढ रहे सऊदी अरब को सम्मेलन के आरंभ होने से पहले ही दो ज़ोरदार झटके लग गए हैं। पहला यह कि पैसे से लेकर हर तरह के हथकंड़े अपनाने के बावजूद जमाल ख़ाशुक़्जी की हत्या के आरोपी मोहम्मद बिन सलमान पश्चिमी मीडिया की नज़र में अपनी छवि अच्छी करने में नाकाम हो गए। आज भी पश्चिमी मीडिया में मोहम्मद बिन सलमान को एक नफ़रत फैलाने और हत्यारे जैसे व्यक्तित्व के तौर पर जाना जाता है। दूसरा झटका कोरोना महामारी ने दिया है। जहां कोविड-19 ने सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को कमर तोड़ दी है वहीं जी-20 शिख़र सम्मेलन अब वर्चुवअल सम्मेलन में परिवर्तित हो चुका है। इसलिए आले सऊद शासन जिस तरह की जी-20 शिख़र सम्मेलन से उम्मीद लगाए बैठा था और जिस लाभ की सोच रहा था उसकी उस उम्मीद पर भी पानी फिर गया है।

सऊदी अरब के एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया है कि मोहम्मद बिन सलमान द्वारा यमन युद्ध के समाप्त किए जाने वाली बातें, जी-20 शिखर सम्मेलन को कामयाब बनाने के लिए केवल एक पैंतरेबाज़ी है, क्योंकि रियाज़ सरकार का अभी इस तरह का कोई इरादा नहीं है। सऊदी सूत्र के मुताबिक़, जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले सऊदी अरब यह दिखाना चाहता है कि वह यमन युद्ध समाप्त करने में रूची रखता है, ताकि यह सम्मेलन मोहम्मद बिन सलमान की आलोचना होने वाले सम्मेलन में परिवर्तित न हो जाए। इसका कारण यह भी बताया जा रहा है कि हाल ही में पश्चिमी देशों से संबंधित कई अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने सऊदी अरब के युवराज के काले इतिहास की वजह से जी-20 शिखर सम्मेलन को प्रतिबंधित करने की योजना पर विचार किया है। इसी विचार के बाद ही पश्चिमी देशों में सऊदी अरब को हथियार बेचने पर प्रतिबंध लगाने की मांग ने ज़ोर पकड़ा है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सऊदी अरब पश्चिमी देशों से हथियारों को ख़रीद कर यमन की आम जनता, जिसमें महिलाएं और बच्चे ज़्यादा हैं उनका जनसंहार कर रहा है। इसी संदर्भ में एक यमनी सूत्र के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूचना दी है कि, संयुक्त राष्ट्र संघ ने हाल के दिनों में यह प्रयास किया है कि सऊदी अरब और यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के बीच सीधे तौर पर संपर्क स्थापित किया जा सके।

यमनी सूत्र ने बताया है कि सऊदी अरब और अंसारुल्लाह के बीच सीधा संपर्क होने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी शर्तों पर दोने के बीच युद्धविराम की घोषणा करना चाहता है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी एलान किया है कि वह लगातार यह प्रयास में है कि इस साल के अंत तक दोनों पक्षों को वार्ता की मेज़ पर आमने सामने की बैठा कर हर तरह के ज़मीनी, हवाई और समुद्री संघर्ष पर विराम की घोषणा की जा सके। इस बीच यमनी नेतृत्व पहले ही यह बात कह चुका है कि वह वार्ता के माध्यम से विवाद का समाधान करने के लिए तैयार है लेकिन यह सऊदी अरब है जो यमन में शांति नहीं चाहता। अगर दोनों पक्ष वार्ता की मेज़ पर आएं और सच्चाई के साथ बात करें और अपनी इच्छा शक्ति दिखाएं तो कुछ ही दिन में यह युद्ध बंद हो सकता है लेकिन सऊदी अरब इसे अपने लिए बेइज़्ज़ती समझता है। यमन युद्ध की जो ज़मीनी स्थिति है, उसे देखते हुए सऊदी अरब के लिए जल्द से जल्द युद्ध समाप्त करना ही बेहतर होगा लेकिन सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान को शायद अमरीका के नए राष्ट्रपति के इशारे का इंतेज़ार है।