AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

16 नवंबर 2020

4:09:47 pm
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इराक़ में आम चुनाव जून में होने हैं लेकिन कुछ धड़ों ने अभी से चुनावी गतिविधियां शुरू कर दीं, क्या यह मुस्तफ़ा अलकाज़ेमी के लिए संदेश है?

इराक़ में मुस्तफ़ा अलकाज़ेमी की सरकार ने संसद के समयपूर्व चुनाव के लिए 6 जून 2021 की तारीख़ निर्धारित की है जिसमें अभी काफ़ी समय है लेकिन कुछ राजनैतिक धड़ों ने अपनी चुनावी व प्रचारिक गतिविधियां अभी से आरंभ कर दी हैं।

बहुत से टीकाकारों का कहना है कि इराक़ का अगला संसदीय चुनाव, बड़ा ही निर्णायक होगा और इससे 2003 के बाद से इराक़ में शुरू होने वाली राजनैतिक प्रक्रिया में एक नया मोड़ आ जाएगा। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सद्र धड़े ने अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे चुनाव में व्यापक भागीदारी के लिए तैयार हो जाएं। क़ानून की सरकार गठजोड़ ने चुनाव आयोग द्वारा चालीस लाख इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग कार्ड गुम होने की सूचना दिए जाने के बाद इन चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। इस गठजोड़ के प्रवक्ता बहाउद्दीन नूरी ने कहा है कि उस क़ानून का राजनैतिक प्रक्रिया में धांधली के अलावा और कोई परिणाम नहीं होगा जो जल्दबाज़ी में चुनाव के लिए इलेक्ट्राॅनिक व बायोमैट्रिक, दो तरह के कार्डों के इस्तेमाल के लिए पारित किया गया है।

 

क़ानून की सरकार गठजोड़ के प्रवक्ता ने कहा कि इन कार्डों का कोई निर्धारित व निश्चित कार्यक्रम नहीं है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि इन्हें राजनैतिक गुटों के बीच बांटा गया है या नहीं? या ये किन लोगों के हाथों में पड़ गए हैं। बहाउद्दीन नूरी ने प्रस्ताव दिया कि चुनाव में धांधली को रोकने के लिए, सिर्फ़ स्मार्ट बायोमैट्रिक कार्ड का इस्तेमाल किया जाए। चुनावों के मामलों में इराक़ी प्रधानमंत्री के सलाहकार अब्दुल हुसैन अलहिंदावी ने बताया है कि एक करोड़ तीस लाख बायोमैट्रिक कार्ड बांटे जा चुके हैं, जबकि तीस लाख अन्य कार्ड बांटे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मतदान सिर्फ़ बायोमैट्रिक कार्ड से होगा।

 

इराक़ के प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अलकाज़ेमी ने कहा है कि संसदीय चुनाव 6 जून 2021 को यानी लगभग सात महीने बाद आयोजित होंगे लेकिन कुछ टीकाकारों बल्कि ख़ुद इराक़ी अधिकारियों को निर्धारित समय पर चुनाव के आयोजन में शक है। संसद में बयारिक़ुल ख़ैर नामक धड़े के प्रमुख मुहम्मद अलख़ालेदी ने कहा है कि निर्धारित समय पर चुनाव के आयोजन की कोई सच्ची गारंटी नहीं है। यह ऐसी स्थिति में है कि जब अलकाज़ेमी ने चुनाव आयोग के सदस्यों से मुलाक़ात में एक बार फिर जून 2012 में संसद के समयपूर्व चुनाव आयोजित कराने पर बल दिया है। पिछले एक महीने में चुनाव आयोग के सदस्यों से उनकी यह दूसरी मुलाक़ात थी।

 

इराक़ के प्रधानमंत्री ने इसी तरह इराक़ के मामलों में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव की विशेष प्रतिनिधि जेनीन हेनिस प्लाशार्ट से मुलाक़ात में स्वस्थ, न्यायपूर्ण व पारदर्शी चुनाव के आयोजन की भूमिका तैयार करने और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति को सुनिश्चित बनाने पर बल दिया है। विभिन्न चुनावी क्षेत्रों के आधार पर नए चुनाव क़ानून के पारित होने के बाद, निर्धारित समय पर संसदीय चुनाव के आयोजन के सामने विभिन्न चुनौतियां हैं, जिनमें से कुछ अहम ये हैंः

  1. संसद में इराक़ की उच्च फ़ेड्रल अदालत के क़ानून की मंज़ूरी के बाद यह अदालत चुनावी परिणाम की पुष्टि के लिए उत्तरदायी है लेकिन एक सदस्य के रिटायर हो जाने के कारण, इस न्यायालय के सदस्यों की आवश्यक संख्या पूरी नहीं हो सकी है और इसकी सरकारी हैसियत पर ख़तरा मंडरा रहा है। इस अदालत के बिना, चुनाव आयोजित नहीं हो सकते।
  2. दो तिहाई सांसदों की उपस्थिति में संसद का अपने आप भंग हो जाना। दूसरे शब्दों में इस संबंध में किसी भी प्रकार के मतदान के लिए 200 से अधिक सांसदों की उपस्थिति ज़रूरी है।
  3. चुनाव प्रक्रिया के लिए बजट का निर्धारण और निर्धारित समय सीमा के आधारित तकनीकी योजनाओं का क्रियान्यवयन

 

संभावना जताई जा रही है कि चार करोड़ इराक़ियों में से ढाई करोड़ से ज़्यादा, इस चुनाव में हिस्सा लेंगे। रोचक बात यह है कि इस चुनाव में सन 2003 के आरंभ में पैदा होने वाले इराक़ी भाग ले सकेंगे। यह वही समय है जब अमरीका ने इराक़ पर क़ब्ज़ा कर लिया था। सन 2003 के आरंभ में पैदा होने वाले, इराक़ में संसदीय चुनाव के समय 18 साल के पूरे हो जाएंगे और चुनाव में भाग ले सकेंगे।