AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
रविवार

15 नवंबर 2020

1:12:37 pm
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जर्मनी ने सऊदी अरब को हथियार बेचने पर रोक लगाई, रियाज़ तिलमिलाया

सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री ने जर्मनी द्वारा उनके देश को हथियारों की बिक्री पर रोक लगाए जाने पर क्रोध जताते हुए कहा है कि सऊदी अरब को जर्मनी के हथियारों की ज़रूरत ही नहीं है।

अलक़ुद्स अलअरबी की रिपोर्ट के अनुसार आदिल अलजुबैर ने जर्मनी के इस क़दम को ग़लत व तर्कहीन बताया और कहा कि उनके देश को जर्मनी के हथियारों व सैन्य उपकरणों की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यमन युद्ध के कारण सऊदी अरब को हथियारों की बिक्री रोकने का फ़ैसला तर्कहीन  है क्योंकि हमारा मानना है कि यमन की लड़ाई एक क़ानूनी लड़ाई है और हम मजबूरी में इसमें शामिल हुए हैं। ज्ञात रहे कि सऊदी अरब को जर्मनी के हथियारों की बिक्री पर रोक की समय सीमा कई बार बढ़ाई जा चुकी है और 31 दिसम्बर को इसकी समय सीमा समाप्त होने वाली है, अतः अगले हफ़्तों में जर्मनी में एक बार फिर इसकी समय सीमा बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।

 

इससे पहले सन 2018 में जर्मन चांस्लर एंगला मर्केल के गठजोड़ ने सन 2018 में फ़ैसला किया था कि हर उस देश को हथियारों की बिक्री बंद कर दी जाए जो प्रत्यक्ष रूप से यमन युद्ध में शामिल है। इस फ़ैसले से पहले सऊदी अरब के साथ जर्मनी के व्यापारिक संबंध थे और जर्मनी से सऊदी अरब को होने वाला निर्यात सन 2017 में 25 करोड़ यूरो से ज़्यादा तक पहुंच गया था। सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री आदिल अलजुबैर ने कहा कि हम अब भी बहुत से देशों से हथियार ख़रीद सकते हैं और हमें इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि कोई देश यह कहे कि हम सऊदी अरब को हथियार नहीं बेचेंगे। मौजूद आंकड़ों के अनुसार सऊदी अरब इस समय दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आयातकर्ता है। यमन पर सऊदी अरब के सैन्य हमले ऐसी स्थिति में जारी हैं कि अमरीका, जर्मनी, ब्रिटेन, फ़्रान्स और कनाडा जैसे देश हथियार बेच कर और गुप्तचर व लाॅजेस्टिक सहायताएं करके क्षेत्र के इस सबसे ग़रीब देश के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों में सहभागी हैं।

 

सऊदी अरब को हथियार बेचने वाले देशों में से एक के रूप में जर्मनी, रोक लगाने की घोषणा के बावजूद रियाज़ को सैन्य उपकरण बेच रहा है जिस पर जर्मनी के वामपंथी दल कड़ी आपत्ति कर रहे हैं। जर्मनी ने सऊदी अरब को हथियारों के निर्यात पर रोक के बावजूद सन 2019 में अप्रत्यक्ष रूप से इस देश को हथिायर देने में सहयोग किया। जर्मनी के वित्त मंत्रालय की घोषणा के अनुसार पिछले साल जर्मनी ने फ़्रान्स को दो बार इस बात की अनुमति दी थी कि वह उसके यहां बने हुए हथियारों को सऊदी अरब को निर्यात करे। इन हथियारों का मूल्य लगभग 50 लाख यूरो था। जर्मनी ने इसी तरह सऊदी अरब को यूरोफ़ाइटर और टोरनेडो जैसे युद्धक विमान सऊदी अरब को बेचने के यूरोपीय देशों के क़दम में सहयोग किया था। सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या के बाद जर्मनी ने सन 2018 में सऊदी अरब को हथियार बेचने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी जिसकी समय सीमा तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। सऊदी अरब को हथियारों के निर्यात पर रोक की समय सीमा बढ़ाने का मतलब यह होगा कि अब सऊदी अरब को किसी भी प्रकार की नई खेप नहीं दी जाएगी चाहे, उसके निर्यात का लाइसेंस पहले ही जारी क्यों न हो चुका हो।

 

जारी वर्ष की शुरुआत में जर्मनी ने सऊदी अरब को हथियारों के निर्यात पर 9 महीने तक रोक लगाने का फ़ैसला किया था। इसके आधार पर जर्मन सरकार 31 दिसम्बर सन 2020 तक सऊदी अरब को हथियारों की कोई नई खेप देने का इरादा नहीं रखती और जिन हथियारों के निर्यात की अनुमति वह पहले दे चुकी है, उन्हें भी निर्यात नहीं किया जाएगा। इसी बीच जर्मन वित्त मंत्रालय ने बताया है कि बर्लिन ने जारी साल के आरंभिक चार महीनों में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठजोड़ में शामिल आठ देशों को हथियारों की 122 खेपें बेचने की अनुमति दी है जिनका मूल्य एक अरब दस करोड़ यूरो से ज़्यादा है। जर्मन कंपनियों को इस बात की अनुमति है कि वे देश में बने कल-पुर्ज़ों को सऊदी अरब के उन घटक देशों को निर्यात करें जो सऊदी अरब की ज़रूरत के हथियार तैयार करना चाहते हैं। इस तरह के रवैये से जर्मनी का दोग़लापन उजागर हो जाता है।