सऊदी अरब की इस हार की वजह इस देश द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की वजह से कुछ देशों द्वारा उसे वोट न दिया जाना है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता वृंदन वर्मा ने बताया कि मानवाधिकार परिषद के लिए होने वाला मतदान खत्म हो गया जिसके बाद वोटो की गिनती से पता चला कि पाकिस्तान, उज़बेकिस्तान, नेपाल और चीन को सफलता मिली है।
एशिया प्रशांत महासागर की 4 सीटों के लिए 5 देशों में मुक़ाबला था लेकिन सऊदी अरब ने यह अवसर गवां दिया।
सऊदी अरब ने मानवाधिकार परिषद में सदस्यता के लिए बहुत भाग दौड़ की थी क्योंकि उसे उम्मीद थी कि इस तरह से वह दुनिया में अपनी छवि बेहतर बना लेगा मगर उसका यह सपना टूट गया।
परिणाम की घोषणा के तत्काल बाद मानवाधिकार संस्था, ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस परिणाम का स्वागत किया और एक ट्वीट में कहा कि मानवाधिकार परिषद में सऊदी अरब की हार का यह स्वागत योग्य संदेश है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के चुनावों में प्रतिस्पर्धा की ज़रूरत है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार परिषद के 15 सदस्यों के चयन के लिए मतदान हुए थे लेकिन हयूमन राइट्स वाच ने मांग की थी कि सुरक्षा परिषद के सदस्य, सऊदी अरब और चीन को वोट न दें क्योंकि पूरी दुनिया में मानवाधिकारों का सब से अधिक उल्लंघन करने वाले यही दो देश हैं।
न्यूयार्क टाइम्ज़ से बात करने हुए उसकी निदेशक ने कहा था कि निरंतरता के साथ मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों को संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार परिशद में सीट का इनाम नहीं देना चाहिए।