AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

12 अक्तूबर 2020

4:34:16 pm
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सऊदी अरब इस्राईल से हाथ मिलाने की तैयारी में, क्या फिलिस्तीनियों की मदद बंद करने वाला है सऊदी अरब ?

अलखलीज आनलाइन में मुहम्मद अबू रिज़्क़ का एक आलेख छपा है जिसमें सऊदी अरब और पीड़ित फिलिस्तीनियों की दशा का जायज़ा लिया गया है।

 एक सुनियोजित योजना  के तहत सऊदी अरब ने, शाही परिवार के एक सदस्य और शाही परिवार से निकट एक समाचार पत्र की मदद से फिलिस्तीनियों पर धावा बोल दिया है और अब यह प्रचार किया जा रहा है कि सऊदी अरब, फिलिस्तीन को जो आर्थिक मदद देता है उसे रोक देगा।

     फिलिस्तीनियों पर सऊदियों का ताज़ा धावा, ओकाज़ समाचार पत्र के संपादक, जमील अज़्ज़ेयाबी की ज़बान से किया गया। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब ने फिलिस्तीनी मुद्दे का बहुत  समर्थन किया है लेकिन अब सऊदी शासकों को निराशा हो रही है और औपचारिकता व शिष्टाचार का समय बीत चुका है।

     इस से पहले वाशिंग्टन में सऊदी अरब के पूर्व राजदूत और सऊदी खुफिया एजेन्सी के भूतपूर्व प्रमुख प्रिंस बंदर बिन सुल्तान ने कहा था कि फिलिस्तीनी प्रशासन ने , फिलिस्तीन को टुकड़े टुकड़े कर दिया और फिलिस्तीनी मुद्दे को ही खत्म कर दिया।

     बंदर बिन सुल्तान ने फिलिस्तीनी सरकार और उसके प्रमुख महमूद अब्बास की आलोचना पर ही संतोष नहीं किया बल्कि उन्होंने यूएई और बहरैन द्वारा इस्राईल से हाथ मिलाने के विरोधी फिलिस्तीन के सशस्त्र गुटों पर भी धावा बोला। सऊदी शाही घराने के इस सदस्य ने सऊदी अरब की ओर से फिलिस्तीन की जाने वाली आर्थिक सहायता का भी उल्लेख किया जिसके बाद विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह सऊदी अरब की ओर से फिलिस्तीन को दी जाने वाली मदद को पूरी तरह से खत्म करने की भूमिका हो सकती है।

 

     सन 2017 में जब बिन सलमान सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बने तभी से फिलिस्तीन के बारे में सऊदी अरब का रुख बदलने लगा था क्योंकि इस्राईली, सऊदी अरब के निकट हो चुके थे। सऊदी अरब से इस्राईल के निकट होने के बाद नंवबर 2016 में सऊदी अरब ने फिलिस्तीन को मदद की रक़म देने से इन्कार कर दिया जो लगभग 140 मिलयन डालर थी।

     यह एसी दशा में है कि आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ नस्र अब्दुलकरीम का मानना है कि सन 2019 से पहले तक सऊदी अरब फिलिस्तीन को हर साल 100 मिलयन डालर की मदद करता था लेकिन जारी वर्ष में सऊदी अरब ने अब तक फिलिस्तीन को एक डालर भी नहीं दिया है। उनका मानना है कि सऊदी अरब की ओर से फिलिस्तीनियों की मदद रोके जाने की मुख्य वजह, सऊदी अरब के राजनीतिक रुख में परिवर्तन है लेकिन अभी तक उसमें इसका खुल कर एलान करने की हिम्मत नहीं है क्योंकि उसे डर है कि इस प्रकार की घोषणा से इस्लामी जगत के अलावा स्वंय सऊदी अरब में भी जनता में आक्रोश फैल जाएगा। यही वजह है कि सऊदी अरब ने चुपचाप आर्थिक मदद रोक दी है।

 

     रिपोर्टों के अनुसार सन 2020 में सऊदी अरब ने फिलिस्तीन को दी जाने वाली आर्थिक मदद पूरी तरह से रोक दी है जैसा कि फिलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास ने भी इस बारे में खुल कर बात की है।

     सऊदी अरब की आर्थिक मदद रुक जाने से फिलिस्तीनी सरकार पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? इस सवाल का जवाब देते हुए अब्दुलकरीम कहते हैं कि इस से फिलिस्तीनी सरकार पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा लेकिन फिर भी 350 मिलयन महीने की आमदनी वाली फिलिस्तीनी सरकार 100 मिलयन महीने की आमदनी पर भी रह सकती है।

     फिलिस्तीनी प्रशासन बजट में कमी को लोन लेकर पूरा कर सकती है। याद रहे सऊदी अरब ने हांलाकि यूएई और बहरैन द्वारा इस्राईल से संबंध बनाने को अरब शांति योजना का विरोध बताया है लेकिन उसने इस दोस्ताना की आलोचना में ज़बान नहीं खोली है। अरब शांति योजना में इस्राईल के साथ संबंध बनाने के लिए यह शर्त है कि इस्राईल सभी अवैध अधिकृत इलाक़ों को छोड़ दे और बैतुलमुक़द्दस की राजधानी के साथ एक फिलिस्तीनी देश बनाने पर सहमत हो।

     इस्राईल के साथ यूएई और बहरैन के संबंधों के बाद फिलिस्तीनी प्रशासन ने अबूधाबी और मनामा से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था क्योंकि फिलिस्तीनियों की नज़र में इस्राईल से संबंध बनाना , फिलिस्तीन के साथ गद्दारी है।