AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
मंगलवार

29 सितंबर 2020

2:12:10 pm
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इराक़ में अमरीकी दूतावास बंद होने का ग़म नहीं... यह जासूसों का अड्डा है...हम दूतावासों की सुरक्षा का सम्मान करते हैं मगर वह भी वियेना कन्वेंशन पर अमल करें!

अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो अगर इराक़ के राष्ट्रपति बरहम सालेह और प्रधानमंत्री मुसतफ़ा अलकाज़ेमी को फ़ोन करते हैं और धमकी देते हैं कि अगर मिसाइल हमले बंद न हुए तो वह बग़दाद में अमरीकी दूतावास बंद कर देंगे तो यह बहुत बड़ी बेशर्मी और कूटनयिक संस्कारों का खुला हनन है।

हमें नहीं पता कि इराक़ी राष्ट्रपति बरहम सालेह और प्रधानमंत्री अलकाज़ेमी ने कैसे पोम्पेयो से टेलीफ़ोन पर बात करना स्वीकार किया जिन्होंने कूटनयिक प्रोटकोल तोड़ा और अपने इराक़ी समकक्ष से टेलीफ़ोन पर बात करने के बजाए राष्ट्रपति को धमकी देने का दुस्साहस किया?

हम इराक़ में या किसी भी देश में विदेशी दूतावासों पर हमले का समर्थन नहीं करते मगर शर्त यह है कि यह दूतावास मेज़बान देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करे। अमरीकी दूतावास तो जासूसों का अड्डा और इराक़ के ख़िलाफ़ साज़िशों का केन्द्र बन गया है। इराक़ी सरकार के लिए उचित था कि वह पहले ही इस दूतावास को बंद करवा देती क्योंकि इराक़ की नाकाबंदी और फिर हमले और क़ब्ज़े के बाद अमरीकी दूतावास का इराक़ में रहना इराक़ का खुला हुआ अपमान है।

अमरीकी प्रशासन ने बग़दाद में इस भूखंड पर ग़ैर क़ानूनी रूप से क़ब्ज़ा करके वहां अपना दूतावास बनाया है और यह दुनिया का सबसे बड़ा दूतावास माना जाता है जिसका क्षेत्रफल 170 वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा है और इसमें हज़ारों जासूस काम करते हैं। यह दूतावास नहीं इराक़ पर राज करने का केन्द्र बनाया गया है।

हमें नहीं पता कि दूतावास को बंद करने और स्टाफ़ को बग़दाद से इराक़ी कुर्द इलाक़े के केन्द्र अरबील स्थानान्तरित करने की धमकी में अमरीका कितना गंभीर है? हो सकता है कि यह सब केवल इराक़ी सरकार को दबाव में लाने की कोशिश हो और अमरीका इराक़ में कुर्द-अरब और शीया-सुन्नी विवाद खड़ा करना चाह रहा हो। विवाद और उपद्रव फैलाना अमरीका के स्वभाव का हिस्सा है।

अमरीका जिसने इराक़ को तबाह किया और इस देश के कम से कम 20 लाख बेगुनाहों को मार डाला, जिसने इस देश के भीतर आतंकी संगठनों की मदद की उसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और क़ानूनों के बारे में उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।

अमरीका इस समय इराक़ में 2000 से अधिक एनजीओज़ की फ़ंडिग कर रहा है। इनमें अधिकतर एनजीओज़ वह हैं जो अमरीकी योजना के अनुसार इराक़ में अशांति और असुरक्षा फैलाने में व्यस्त हैं।

बग़दाद के ग्रीन ज़ोन इलाक़े पर जो मिसाइल फ़ायर किए गए हैं उनसे अमरीकी दूतावास को कोई नुक़सान नहीं पहुंचा है और एक भी अमरीकी कर्मचारी घायल नहीं हुआ है जबकि इराक़ की सैनिक छावनी से उड़ान भरने वाले अमरीकी ड्रोन ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के आदेश से ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी और इराक़ी फ़ोर्स हश्दुश्शअबी के कमांडर अबू महदी अलमुहंदिस पर मिसाइल हमला करके उन्हें शहीद कर दिया। क्या यह अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और परम्पराओं का खुला उल्लंघन नहीं है। कौन गैरेंटी दे सकता है कि यह योजना बग़दाद में अमरीकी दूतावास के भीतर नहीं तैयार की गई थी?

यह उस देश का दूतावास है जिसने इराक़ पर हमला किया, इस देश पर क़ब्ज़ा किया, इस देश के लाखों लोगों को क़त्ल किया, यह साम्राज्यवाद का प्रतिनिधि है और यह उन सभी साज़िशों का केन्द्र है जो इराक़ को तबाह करने के लिए तैयार की गईं।

अगर अमरीकी राजदूत अपने स्टाफ़ के साथ बग़दाद से अरबील फ़रार होते हैं तो हमें इसका कोई ग़म नहीं होगा, वहां भी मुसीबत उनका पीछा नहीं छोड़ेगी और वहां भी वह सुरक्षित नहीं रहेंगे, ख़ास कर अब जब पोम्पेयो ने धमकी दी है कि दूतावास पर मिसाइल हमले करने वालों से वह इंतेक़ाम लेंगे।

अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और कन्वेन्शनों की बात करने से पहले अमरीका को चाहिए कि इराक़ से माफ़ी मांगे और इराक़ी अनाथों और विधवाओं को कई ट्रिलियन डालर कर हर्जाना अदा करे ताकि उसके कुछ पाप धुलें। इसी अमरीका ने लीबिया को लाकरबी विमान घटना के मामले में जिसमें 300 लोग मारे गए थे तीन अरब डालर अदा करने पर मजबूर किया था तो बीस लाख इराक़ी नागरिकों को शहीद करने वाले अमरीका को कितना हर्जाना अदा करना चाहिए?

इराक़ियों के प्रतिरोध ने 2011 में भी अमरीकी फ़ोर्सेज़ को इराक़ से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया था और इस बार भी यह प्रतिरोध शेष बचे अमरीकी सैनिकों और जासूसों को निकलने पर मजबूर कर देगा। अमरीकियों की यह उपस्थिति इराक़ियों के लिए गर्व की बात हरगिज़ नहीं है।

अब्दुल बारी अतवान

अरब जगत के विख्यात लेखक व टीकाकार