AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
रविवार

27 सितंबर 2020

12:56:20 pm
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क्या लेबनान के राजनैतिक संकट के पीछे हिज़्बुल्लाह का हाथ है, हिज़्बुल्लाह पर क्यों लग रहे हैं आरोप?

लेबनान के नामज़द प्रधानमंत्री मुस्तफ़ अलअदीब ने नये मंत्रीमंडल के गठन में विफलता के बाद अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

अभी मुस्तफ़ अल अदीब ने त्यागपत्र दिया और हिज़्बुल्लाह और अमल पार्टी और इसके घटक दलों के विरोधियों ने इसकी ज़िम्मेदारी भी इन दोनों पार्टियों पर डालनी शुरु कर दी।

हिज़्बुल्लाह के कुछ विरोधियों ने इस बात की कोशिश की कि लेबनान में नयी सरकार के गठन में विफलता के लिए हिज़्बुल्लाह और अमल पार्टी को ज़िम्मेदार ठहराए। विरोधियों का कहना है कि इन दोनों पार्टियों ने अह्वान किया था कि वित्तमंत्रालय का क़लमदान उनकी पार्टी या उनके निकटवर्तियों को ही दिया जाए जबकि वास्तविकता यह है कि नामज़द प्रधानमंत्री इससे पहले भी इन दो पार्टियों के संपर्क में थे और इन दो पार्टियों के समर्थन से ही उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए नामज़द किया गया था। दूसरे शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि इन दोनों पार्टियों के समर्थन ने ही वह सत्ता में पहुंचे थे।

यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि पिछले एक महीने से हिज़्बुल्लाह और अमल पार्टी तथा मुस्तफ़ा अलअदीब के बीच कोई सपर्क नहीं हुआ जबकि साद हरीरी, नजीब मीक़ात और मुस्तफ़ा अलअदीब के बीच बंद दरवाज़े में निरंतर वार्ताएं हो रही थीं। यहां पर प्रधानमंत्री यह दावा पूरी तरह से खोखला हो जाता है कि वह देश में टेक्नोक्रेट कैबिनेट और किसी दल पर निर्भर मंत्रीमंडल के बिना ही सरकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं।  

यह ऐसी हालत में है कि मुस्तफ़ा अलअदीब के नामज़द होने के बाद कुछ राजनैतिक दलों ने विदेश हस्तक्षेप का नारा लगाते हुए कहा था कि मुस्तफ़ा अलअदीब इस पद के योग्य नहीं हैं और यही कारण था कि लेबनान की सड़कों पर फिर से प्रदर्शन शुरु हो गये थे जबकि हिज़्बुल्लाह और उसके घटक दलों ने देश को राजनैतिक संकट से निकालने के लिए उनके समर्थन पर संकोच नहीं किया।

अभी लेबनान के नामज़द प्रधानमंत्री को त्यागपत्र दिए एक ही दिन हुआ है कि फ़्रांस ने इस मामले को लेबनान के कुछ राजनैतिक दलों का विश्वासघात क़रार दे दिया। मामला यह है कि जब तक बने नियमों के आधार पर देश का संचालन नहीं होता, संकट जारी रहेगा। यही वजह है कि लेबनान के शीया मुसलमानों की पार्टियों ने दस नामों का सुझाव पेश किया था ताकि वह इन दस लोगों में से किस एक को वित्तमंत्रालय का क़लमदान दे।