AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

11 सितंबर 2020

6:50:29 pm
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ईरान अरबों को नहीं, इस देश को समझता है मुक़ाबले के लायक़! यूएई और ईरान, कौन किसकी ज़रूरत किसको किससे डर? रूसी न्यूज़ एजेन्सी की दिलचस्प रिपोर्ट!

इस्राईल और यूएई के मध्य संबंधों बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर की तारीख का एलान कर दिया गया है और अमरीका फार्स की खाड़ी के उत्तर दक्षिण में आग लगाने के लिए फलीता जला रहा है।

रोचक बात यह है कि फार्स की खाड़ी के कुछ अरब शासक, विशेषकर अबूधाबी के शासक, यह सोच रहे हैं कि वह इस्राईल की मदद से ईरान को नुक़सान पहुंचा सकते हैं। 
  

यहां पर यह  ध्यान देने वाली बात है कि इन अरबों की समझ में  यह नहीं आ रहा है कि जब अमरीकी, उनकी खौलते बर्तन के नीचे आग  तेज़ करते हैं तो  हो सकता है उनका बर्तन ही जल जाए, ईरानियों  की तो हालत यह है कि अब उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है।

     कुछ लोगों को यह लगता है कि चूंकि ईरान दुबई को अमरीकी प्रतिबंधों को चकमा देने के लिए इस्तेमाल करता है इस लिए अगर यूएई ईरान के साथ आर्थिंक संबंध खत्म कर लेगा तो ईरानियों को  आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ेगा और उन्हें लगता है कि चूंकि यूएई का व्यापारिक लेन देन लगभग 4 सौ अरब डालर का है इस लिए ईरान के साथ दस पंद्रह अरब डालर के व्यापार के खत्म होने से उस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा  और इस तरह की सोच रखने वालों की सब से बड़ी गलती यही है।

     सब से पहली बात तो यह है कि यूएई के 4 सौ अरब डालर के व्यापार में से लगभग 100 अरब डालर का व्यापार, लेनदेन के रूप में है और बाकी आमदनी तेल से है। इस 100 अरब में से सरकारी तौर पर 15 अरब डालर और गैर सरकारी तौर पर 50 अरब डालर का लेनदेन ईरान के साथ होता है तो ज़ाहिर सी बात है अगर ईरान के साथ यूएई ने आर्थिक संबंध खत्म  कर दिये तो उसके विदेशी व्यापार का पचास प्रतिशत से अधिक भाग ठप्प हो जाएगा जबकि ईरानी सरकार के यह होगा कि यूएई से ईरान की जाने वाली तस्करी बंद हो जाएगी जो एक तरह से ईरान की सरकार के लिए बेहतर ही होगा।

  दूसरी बात, ईरान को एक गोली भी फायर नहीं करना पड़ेगी और यूएई का दिवालिया निकल जाएगा, क्योंकि जैसे ही ईरान और यूएई के बीच तनाव की बात होगी, निवेशक, यूएई से अपना पैसा निकालने लगेंगे वैसे भी ईरान अगर चाह लेगा तो यूएई अपने तेल की एक बूंद भी निर्यात नहीं कर पाएगा।

     ईरान के पास अनुभव है और उसने कई दशकों के दौरान यह सीख लिया है कि देश के लिए ज़रूरी चीज़ें कैसे देश में लायी जाती हैं यह काम वह यूएई के बिना भी कर लेगा। यूएई को यह समझना चाहिए कि यमन के अंसारुल्लाह ने सिर्फ 2 घंटों में सऊदी अरब के तेल निर्यात को आधा कर दिया जब कि उसकी तेल कंपनी आरामको में अमरीका के अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम और हथियार लगे थे और चूंकि यमन और सऊदी अरब के मध्य युद्ध भी हो रहा है इस लिए यह सारे सिस्टम पूरी तरह से अलर्ट थे।

     यहां पर यह भी  खुल कर कह देना चाहिए कि यूएई, फार्स की खाड़ी में यह कहीं भी ईरान का प्रतिद्धींदी नहीं है  और अगर अमरीका और इस्राईल का प्रोत्साहन न होता तो आज ईरान और यूएई या ईरान और सऊदी अरब के बीच तनाव का भी कहीं पता नहीं होता क्योंकि इतिहास गवाह है कि फार्स की खाड़ी के देशों  के बीच हमेशा शांति रही है और सारे देशों में रहने वालों की एक दूसरे के वहां रिश्तेदारियां हैं।

     अस्ली समस्या, ईरान और अमरीका के बीच है और ईरानियों ने कई दशकों के दौरान मेहनत करके खुद को अमरीका से मुक़ाबला करने के लिए तैयार किया है और फार्स की खाड़ी के अरब देशों  चाहे जितनी कोशिश कर लें और चाहे जितने सपने देख लें और कभी भी इस पोज़ीशन में नहीं पहुंच सकते कि  ईरान उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी समझने लगे।

     अमरीकियों  को भी यह पता है लेकिन वह इन देशों का पैसा लूटने और अपने हथियार उन्हें बेचने के लिए ईरान का हव्वा खड़ा करते हैं क्योंकि वह भी अरब देशों के शासकों को अच्छी तरह से पहचान गये हैं।

     अरब शासक यह सोचते हैं कि अगर उन्होंने एक बहुत महंगी कार खरीद ली है तो फिर अब वह विश्व स्तर की कार रेस में जीत भी दर्ज करा सकते हैं। Q.A.  साभार, स्पूतनिक  न्यूज़ एजेन्सी