ट्रम्प प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बुधवार को राष्ट्रपति ट्रम्प इराक़ से अधिक सैनिकों को बाहर निकालने की घोषणा कर सकते हैं और आने वाले कुछ दिनों में इसी तरह की घोषणा अफ़ग़ानिस्तान के बारे में भी कर सकते हैं।
यह रिपोर्ट ट्रम्प और पेंटागन के उच्च अधिकारियों के बीच जारी मनमुटाव के बीच सामने आई है। पेंटागन के उच्च अधिकारियों ने अमरीकी राष्ट्रपति पर तानाशाही का आरोप लगाया है।
सोमवार को ट्रम्प ने कहा था कि पेंटागन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी हो सकता है उन्हें पसंद नहीं करते हों, इसलिए कि वे युद्ध लड़ने के अलावा और कुछ नहीं करना चाहते हैं।
ग़ौरतलब है कि ट्रम्प ने 2016 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए प्रचार करते हुए अमरीकी मतदाताओं से मध्यपूर्व में लड़ाईयों को बंद करने और सैनिकों को वापस बुलाने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने अपने इस वादे पर अमल नहीं किया, जिसके चलते उन्हें नवम्बर में होने वाले चुनाव में नुक़सान उठाना पड़ सकता है।
अपनी घटती लोकप्रियता को देखते हुए ट्रम्प चुनाव से ठीक पहले अमरीकी इतिहास की सबसे लम्बी लड़ाईयों अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ से अधिक सैनिक वापस बुलाने की घोषणा कर रहे हैं, लेकिन अब उनका यह वादा अमरीकी मतदाताओं को किस हद तक प्रभावित करेगा, यह चुनाव के नतीजों से पता चलेगा।
पिछले महीने, अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा था कि आने वाले कुछ दिनों में अफ़ग़ानिस्तान में तैनात अमरीकी सैनिकों की संख्या 5,000 से कम रह जाएगी।
ट्रम्प का कहना है कि अफ़गानिस्तान में अमरीकी सैनिकों की संख्या 4,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
ट्रम्प प्रशासन ने अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सैनिकों को निकालने के लिए 29 फ़रवरी को तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
अमरीका, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या ज़रूर कम कर रहा है, लेकिन वह अपने सभी सैनिकों को इन दोनों देशों से नहीं निकालना चाहता है।
राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए ट्रम्प एक बार फिर युद्ध विरोधी राग अलाप रहे हैं, लेकिन ज़मीन पर हक़ीक़त उनके दावों के बिल्कुल विपरीत है।