इराक़ में लोग यह सवाल कर रहे हैं कि सऊदी सैनिकों को इराक़ की सरज़मीन पर क़दम रखने की इजाज़त किसने दी?
सूत्रों के अनुसार, सऊदी अरब ने उत्तर पूर्वी सीरिया में तेल से समृद्ध इलाक़े अल-हसका में अमरीका के नेतृत्व में अपने दो दर्जन सैनिक तैनात किए हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प खुलकर कई बार यह एलान कर चुके हैं कि युद्ध ग्रस्त सीरिया के तेल के कुओं की निगरानी के लिए अमरीकी सैनिक तैनात रहेंगे। सीरियाई सरकार ने वाशिंगटन और उसके सहयोगियों पर तेल और अन्य संसाधनों की लूटमार का आरोप लगाया है।
लेबनानी टीवी चैनल अल-मयादीन की रिपोर्ट के मुताबिक़, सऊदी अरब के क़रीब दो दर्जन सैनिक अमरीकी सैनिकों के साथ इराक़ स्थित ताजी सैन्य अड्डे में तैनात थे, जिसे हाल ही में अमरीकी सैनिकों ने ख़ाली करके इराक़ी सेना के हवाले किया है। ताजी सैन्य अड्डे को ख़ाली करने के बाद अमरीकी सैनिकों का कारवान, सीरिया में प्रवेश कर गया, जिसमें सऊदी सैनिक भी शामिल थे।
सूत्रों का कहना है कि रियाज़ ने ताजी सैन्य अड्डे में अपने सैनिकों की उपस्थिति की पुष्टि कर दी है और यह भी स्वीकार किया है कि उसके यह सैनिक अब अमरीकी सैनिकों के साथ सीरिया पहुंच चुके हैं।
इराक़ की जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि उनके देश में सऊदी सैनिक क्या कर रहे थे और किसने उन्हें इराक़ की सरज़मीन पर क़दम रखने की इजाज़त दी थी।
ग़ौरतलब है कि सऊदी अरब पर दाइश जैसे ख़ूंख़ार आतंकवादी गुटों के समर्थन का आरोप है और इराक़ी और सीरियाई अधिकारी रियाज़ पर अपने देशों में तकफ़ीरी आतंकवाद को हवा देने के आरोप लगाते रहे हैं। इसके बावजूद, दाइश के ख़िलाफ़ लड़ाई के बहाने अमरीका और सऊदी अरब जैसे उसके ही समर्थकों के सैनिकों की तैनाती का कोई अर्थ ही नहीं है।